सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादन अधारित प्रोत्साहन योजना को लेकर दिशानिर्देश जारी किए

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 May, 2021 06:23 PM

government issued guidelines regarding production based incentive

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि उसने उद्योग की 10,900 करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। क्षेत्र की वृद्धि के लिए इस योजना की घोषणा हाल ही में की गई है।

नई दिल्लीः खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि उसने उद्योग की 10,900 करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के लिए दिशानिर्देश जारी किया है। क्षेत्र की वृद्धि के लिए इस योजना की घोषणा हाल ही में की गई है। कृषि और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के लिए 'ऑनलाइन पोर्टल' की शुरूआत की। 

सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपए के व्यवव आवंटन के साथ वर्ष 2021-22 से वर्ष 2026-27 के दौरान कार्यान्वयन के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना नाम से एक नई केंद्रीय योजना को मंजूरी दी है। इसका मकसद वैश्विक स्तर पर अग्रणी खाद्य विनिर्माण कंपनियां तैयार करने में मदद करना तथा खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आगे बढ़ाना है।

मंत्रालय ने तीन श्रेणियों के आवेदकों से इस योजना के अंतर्गत विदेशों में ब्रांडिंग और विपणन गतिविधियों को शुरू करने के लिए बिक्री आधारित प्रोत्साहन और अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथत 17 जून है। पहली श्रेणी में, आवेदक बड़ी संस्थाएं हैं जो बिक्री और निवेश मानदंडों के आधार पर प्रोत्साहन के लिए आवेदन कर सकती हैं। इस श्रेणी के अंतर्गत आवेदक विदेशों में भी ब्रांडिंग व विपणन गतिविधियां शुरू कर सकते हैं और एक सामान्य आवेदन के साथ योजना के अंतर्गत अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

दूसरी श्रेणी के तहत नवोन्मेषी और जैविक उत्पाद बनाने वाले एसएमई आवेदक बिक्री के आधार पर पीएलआई प्रोत्साहन के लिए आवेदन कर सकते हैं। तीसरी श्रेणी में विदेशों में ब्रांडिंग व विपणन गतिविधियां शुरू करने के लिए केवल अनुदान के लिए आवेदन किया जा सकता है। योजना के तहत बिक्री आधारित प्रोत्साहन 2021-22 से 2026-27 तक यानी छह साल के लिये आधार वर्ष के मुकाबले बढ़ी हुई बिक्री पर दिया जाएगा। बढ़ी हुई बिक्री की गणना के लिए आधार वर्ष पहले 4 वर्षों के लिए 2019-20 होगा। पांचवें और छठे साल के लिये यह क्रमश: 2021-22 और 2022-23 होगा। 
 

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