सरकार अगले सप्ताह नए वनस्पति तेल विनियमन आदेश को अधिसूचित करेगी: खाद्य सचिव

Edited By Updated: 24 Jul, 2025 06:02 PM

government will notify new vegetable oil regulation order

खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार अगले सप्ताह भारत में वनस्पति तेल उत्पादों को आधुनिक, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत प्रावधानों के साथ विनियमित करने के लिए एक नया आदेश अधिसूचित करेगी। 2025 का वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और...

नई दिल्लीः खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार अगले सप्ताह भारत में वनस्पति तेल उत्पादों को आधुनिक, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत प्रावधानों के साथ विनियमित करने के लिए एक नया आदेश अधिसूचित करेगी। 2025 का वनस्पति तेल उत्पाद, उत्पादन और उपलब्धता (वीओपीपीए) विनियमन आदेश मौजूदा 2011 के आदेश का स्थान लेगा। यह डिजिटल उपकरणों के माध्यम से खाद्य तेलों के आयात, उत्पादन, स्टॉक और बिक्री की बेहतर निगरानी पर ज़ोर देगा। 

चोपड़ा ने भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) के चौथे वैश्विक गोलमेज सम्मेलन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, "संघों से परामर्श किया गया है। यह अब अंतिम चरण में है, संभवतः अगले सप्ताह तक इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा।" नए विनियमन के तहत उद्योग के लिए उत्पादन, बिक्री और मूल्य निर्धारण के आंकड़े बताना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी हम अंधेरे में टटोल रहे हैं क्योंकि हम आंकड़ों के लिए संगठनों पर निर्भर हैं।'' 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, सचिव ने कहा कि वीओपीपीए ढांचा वास्तविक समय में उत्पादन, मूल्य निर्धारण और उपलब्धता पर नज़र रखेगा, उद्योग के हितधारकों को महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करेगा और साथ ही अनुपालन, बाज़ार निगरानी और उत्पाद अखंडता में सुधार करेगा। कच्चे खाद्य तेलों में आयात शुल्क में कटौती पर, चोपड़ा ने कहा कि सरकार ने वैश्विक उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए सीमा शुल्क में कटौती को नियोजित तरीके से लागू किया है। सरकार बाज़ार की गतिशीलता पर नज़र रख रही है, देशव्यापी निरीक्षण कर रही है और उद्योग संघों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति श्रृंखला में उचित मूल्य निर्धारण के लिए शुल्क में कटौती का लाभ ग्राहकों तक ‘तेज़ी से' पहुंचाया जा सके। 

हालांकि, कुल खाद्य मुद्रास्फीति 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर बनी हुई है, मूंगफली तेल को छोड़कर खाद्य तेल में 20-30 प्रतिशत वार्षिक मुद्रास्फीति देखी गई है, जो सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सरसों के तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, हालांकि नेफेड जैसी सरकारी एजेंसियों के पास सात लाख टन सरसों का स्टॉक है, जिससे दरों पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी। घरेलू तिलहन और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर ज़ोर देते हुए चोपड़ा ने आगे आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों को स्वीकार किया। भारत में सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों जैसे प्रमुख तिलहनों की औसत उपज वैश्विक औसत की तुलना में बहुत कम है। 

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए अनुसंधान एवं विकास, बुनियादी ढांचे के विकास और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है।'' सरकार ने उपज और उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन जैसी योजनाएं शुरू की हैं। अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद के क्षेत्रीय निदेशक केविन रोपके ने कहा कि कोई भी देश हर चीज़ में आत्मनिर्भर नहीं हो सकता और उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका में भारत को सोयाबीन तेल निर्यात को वर्तमान स्तर से बढ़ाने की क्षमता है। इस कार्यक्रम में गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नादिर बी गोदरेज, आईवीपीए के अध्यक्ष सुधाकर देसाई और आईटीसी लिमिटेड के कृषि एवं आईटी कारोबार समूह प्रमुख एस शिवकुमार भी शामिल हुए।  

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