आयात निर्भरता घटाने की तैयारी में भारत, चीन पर बढ़ती निर्भरता बनी चिंता

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 01:09 PM

india prepares to reduce import dependence but growing reliance on china remain

भारत सरकार आयात पर निर्भरता कम करने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। खासतौर पर चीन जैसे एकल स्रोत (Single Source Supply Chain) पर बढ़ती निर्भरता को लेकर सरकार गंभीर नजर आ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए आगामी बजट में कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर...

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार आयात पर निर्भरता कम करने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। खासतौर पर चीन जैसे एकल स्रोत (Single Source Supply Chain) पर बढ़ती निर्भरता को लेकर सरकार गंभीर नजर आ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए आगामी बजट में कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन (Incentives) देने की योजना बनाई जा रही है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ऐसे कई उत्पाद हैं जिनका देश में उत्पादन होने के बावजूद आयात लगातार ऊंचा बना हुआ है। सरकार का मकसद मर्चेंडाइज ट्रेड गैप को कम करना और सप्लाई चेन को जोखिम से बाहर निकालना है। यह प्रस्ताव आगामी बजट में पेश किया जा सकता है।

अप्रैल-नवंबर FY26 में आयात 515 अरब डॉलर के पार

अप्रैल से नवंबर 2025 के दौरान भारत का कुल आयात 515.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा चीन से आने वाले सामानों का रहा, जो 84.2 अरब डॉलर रहा। इसके बाद UAE से 44.6 अरब डॉलर, रूस से 40.8 अरब डॉलर, अमेरिका से 35.4 अरब डॉलर और सऊदी अरब से 20.4 अरब डॉलर का आयात हुआ।

पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक्स सबसे बड़े आयात

आंकड़ों के मुताबिक भारत के प्रमुख आयात में कच्चा पेट्रोलियम सबसे ऊपर रहा, जिसका आयात 121 अरब डॉलर रहा। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स का आयात 74.4 अरब डॉलर, सोने का 45.2 अरब डॉलर, मशीनरी का 39.8 अरब डॉलर और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट का आयात 22.4 अरब डॉलर दर्ज किया गया।

सरकार की चिंता क्या है?

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कुछ चुनिंदा देशों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता भारत के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। ऐसे में सरकार आयात को ‘डी-रिस्क’ करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि किसी एक देश पर निर्भरता कम की जा सके और घरेलू उद्योगों को मजबूती मिले।

बजट में दिख सकता है असर

सरकार का मानना है कि ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव और टार्गेटेड इंसेंटिव्स के जरिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा। इससे न सिर्फ आयात घटेगा, बल्कि भारत की सप्लाई चेन भी ज्यादा मजबूत और संतुलित बन सकेगी।
 

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