FPIs Return to Indian Market: राहत भरा रहा अक्टूबर, विदेशी निवेशकों ने की भारतीय शेयर बाजार जोरदार वापसी

Edited By Updated: 01 Nov, 2025 05:39 PM

october was a relief foreign investors made a strong comeback

भारतीय शेयर बाजार के लिए अक्टूबर का महीना राहत लेकर आया है। लगातार तीन महीनों तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) एक बार फिर खरीदार बनकर लौटे हैं। अक्टूबर 2025 में एफपीआई ने करीब 1.65 अरब डॉलर (₹13,750 करोड़) की भारतीय शेयरों की...

बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार के लिए अक्टूबर का महीना राहत लेकर आया है। लगातार तीन महीनों तक बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) एक बार फिर खरीदार बनकर लौटे हैं। अक्टूबर 2025 में एफपीआई ने करीब 1.65 अरब डॉलर (₹13,750 करोड़) की भारतीय शेयरों की शुद्ध खरीदारी की है।

विश्लेषकों का कहना है कि शेयर कीमतों में सुधार, कंपनियों की बेहतर तिमाही कमाई और देश की मजबूत विकास दर ने एफपीआई को दोबारा आकर्षित किया है। इसका असर बाजार के प्रदर्शन पर भी दिखा- सेंसेक्स अक्टूबर में 4.57% चढ़ा, जबकि निफ्टी ने भी 4% से ज्यादा की मजबूती दर्ज की।

जीएसटी दरों में कटौती से दिखा असर

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने बताया कि हाल में हुई जीएसटी दरों में कमी भारत की विकास कहानी को आगे बढ़ाने वाला बड़ा कदम साबित हुई है। इसका सीधा असर ऑटो सेक्टर की बिक्री में दिखा-

  • टाटा मोटर्स ने अक्टूबर में 74,705 गाड़ियां बेचीं (सितंबर में 41,151)
  • महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 66,800 गाड़ियां बेचीं (सितंबर में 37,659)
  • हुंडई ने 65,045 गाड़ियां बेचीं (सितंबर में 35,812)

IMF ने भी बढ़ाया भारत की ग्रोथ उम्मीद

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की GDP वृद्धि का अनुमान 6.4% से बढ़ाकर 6.6% कर दिया है। इसके पीछे घरेलू मांग में सुधार और नीतिगत स्थिरता को कारण बताया गया है। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में 21-22% की गिरावट ने भी राहत दी है।

ट्रेड टेंशन पर निगाह

हालांकि, निवेशकों की नजर अब अमेरिका और भारत के बीच चल रहे 50% टैरिफ विवाद और संभावित व्यापार समझौते पर है। रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि अगर यह समझौता सकारात्मक दिशा में बढ़ा, तो बाजार में और तेजी देखने को मिल सकती है।

अभी सतर्क हैं एफपीआई

फोर्विस मजार्स के पार्टनर स्वतंत्र भाटिया के अनुसार, अक्टूबर की खरीदारी एक “सावधानीभरी वापसी” है, न कि लंबी अवधि का रुझान। एफपीआई अब भी 2025 में कुल $15.97 अरब (₹1.39 लाख करोड़) की नेट बिकवाली पर हैं। भविष्य की खरीदारी इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत की नीतियां, ब्याज दरें, सरकार की PLI योजनाएं और बुनियादी ढांचे पर पूंजी खर्च कैसे आगे बढ़ते हैं।
 

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