Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Nov, 2025 10:58 AM

15 नवंबर से हाईवे पर सफर करने वाले ड्राइवरों के लिए टोल भुगतान प्रणाली में बड़ा बदलाव लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने टोल टैक्स को लेकर नई व्यवस्था लागू की है, जिसका उद्देश्य हाईवे पर ट्रैफिक को कम करना और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना है। सरकार का...
बिजनेस डेस्कः 15 नवंबर से हाईवे पर सफर करने वाले ड्राइवरों के लिए टोल भुगतान प्रणाली में बड़ा बदलाव लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने टोल टैक्स को लेकर नई व्यवस्था लागू की है, जिसका उद्देश्य हाईवे पर ट्रैफिक को कम करना और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना है। सरकार का कहना है कि नए नियमों से टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ में कमी आएगी, वाहनों की गति बढ़ेगी और पूरा सिस्टम ज्यादा पारदर्शी व तेज़ी से काम करेगा।
नए नियमों के तहत यदि वाहन FASTag लेन में प्रवेश करता है और उसका FASTag स्कैन नहीं होता या वाहन पर टैग लगा ही नहीं है, तो अब शुल्क भुगतान के आधार पर तय होगा। पहले ऐसी स्थिति में सभी ड्राइवरों को सामान्य टोल का दोगुना शुल्क देना पड़ता था लेकिन अब कैश और डिजिटल भुगतान के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किए गए हैं। यदि FASTag फेल होने पर ड्राइवर कैश में भुगतान करता है, तो उसे सामान्य टोल का दोगुना शुल्क देना होगा। वहीं इसी स्थिति में डिजिटल माध्यम, जैसे UPI या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट मोड से भुगतान करने पर केवल 1.25 गुना शुल्क लिया जाएगा।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी टोल प्लाजा पर सामान्य शुल्क 100 रुपए है, तो FASTag न चलने पर कैश भुगतान करने वाले को 200 रुपए देने होंगे, जबकि डिजिटल भुगतान करने पर सिर्फ 125 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा और नकद लेनदेन कम होने से टोल प्लाजा पर होने वाली मानवीय गलतियों में भी कमी आएगी। अक्सर देखा जाता है कि कई ड्राइवरों का FASTag तकनीकी समस्या, एक्सपायर टैग या रीडर की खराबी के कारण स्कैन नहीं हो पाता, ऐसे में उन्हें मजबूरन दोगुना टोल देना पड़ता था। नए नियम लागू होने के बाद डिजिटल भुगतान का विकल्प चुनने पर उन्हें इस बोझ से राहत मिलेगी और वे कम शुल्क अदा करके आगे बढ़ सकेंगे।