अमेरिकी शुल्क का झटका: आंध्र प्रदेश के झींगा किसानों पर गहराया संकट

Edited By Updated: 19 Apr, 2025 11:28 AM

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अमेरिका में झींगा खाने की लोकप्रियता किसी जुनून से कम नहीं लेकिन हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क ने न केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं बल्कि भारत के झींगा किसानों की भी चिंता बढ़ा दी है। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पल्लीपलेम गांव में...

नई दिल्लीः अमेरिका में झींगा खाने की लोकप्रियता किसी जुनून से कम नहीं लेकिन हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क ने न केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं बल्कि भारत के झींगा किसानों की भी चिंता बढ़ा दी है।

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पल्लीपलेम गांव में झींगा किसान के.बी. गंगाधर राव जैसे किसान, जो कभी अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों से अनजान थे, अब 'ट्रंप शुल्क' का असर खुद पर महसूस कर रहे हैं। राव ने कहा, “ट्रंप मेरे झींगा कारोबार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।” उनके मुताबिक, झींगा की कीमतों में 10-15% की गिरावट ने उनकी आय पर सीधा असर डाला है।

आंध्र प्रदेश में करीब 1.4 लाख किसान और लगभग 20 लाख लोग जलीय कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। राज्य में झींगा पालन 2.12 लाख हेक्टेयर में फैला है। अमेरिका को निर्यात की जाने वाली बड़ी आकार की श्रिम्प किस्मों (30-50 काउंट) की कीमतों में 40-50 रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है। अन्य किस्मों की मांग चीन, जापान और यूरोप में है, लेकिन वहां भी दाम कम हुए हैं।

कोविड महामारी, बढ़ती लागत और अब अमेरिकी शुल्क ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। किसान हरि हर वर्मा कहते हैं, “झींगा पालन अब अनुमान से परे है – कभी वायरस से नुकसान तो कभी बाजार गिरावट।” उन्होंने सरकार पर बिजली सब्सिडी जैसी रियायतें छीनने का भी आरोप लगाया।

पश्चिमी गोदावरी जिले के गुटलापाडु गांव के विश्वनाथ राजू बताते हैं कि 1986 से शुरू हुआ यह व्यवसाय आज संकट में है। झींगा बाजार में कभी ब्लैक टाइगर और इंडिकस किस्में थीं लेकिन 2008 में वन्नामेई प्रजाति के आने से कारोबार में तेजी आई। आज भारत के कुल झींगा निर्यात में वन्नामेई की हिस्सेदारी 87% है और 54% निर्यात अमेरिका को होता है।

सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य जगदीश थोटा के अनुसार, “हाल की कीमत गिरावट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। अमेरिकी खरीदार शुल्क का भार उठाने को तैयार हैं।” उनका मानना है कि भारत की स्थिति अब भी इक्वाडोर जैसे देशों से बेहतर है।

हालांकि राहत की उम्मीद के बीच, आंध्र प्रदेश के झींगा किसान आज भी वैश्विक नीतियों की अनिश्चितताओं के साए में संघर्ष कर रहे हैं।
 

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