Ayodhya Ram Mandir: भगवा झंडे में छिपा है त्रेतायुग का रहस्य, जानिए राम मंदिर ध्वजारोहण की खासियतें

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 07:47 AM

ayodhya ram mandir

Ayodhya Ram Mandir: रामनगरी अयोध्या एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर, विवाह पंचमी के पावन अवसर पर, राम मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से निर्मित दिव्य ध्वज का अनावरण और ध्वजारोहण...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ayodhya Ram Mandir: रामनगरी अयोध्या एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर, विवाह पंचमी के पावन अवसर पर, राम मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से निर्मित दिव्य ध्वज का अनावरण और ध्वजारोहण करेंगे। यह ध्वज केवल धार्मिक प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि भारतीय अध्यात्म, इतिहास और पर्यावरणीय संदेशों का अद्भुत संगम है। 

त्रेतायुग से जुड़ी प्रेरणा और अनूठा डिजाइन

ध्वज के डिजाइन और शोध का कार्य ललित मिश्रा द्वारा किया गया है। मिश्रा के अनुसार, यह ध्वज रामायण काल के त्रेतायुग में प्रयुक्त झंडों की प्रतिकृति से प्रेरित है। परंपरा, तकनीक और अध्यात्म का संतुलित संयोजन इसमें स्पष्ट दिखाई देता है।

ध्वज के निर्माण में:
लंबाई: 11 फीट
चौड़ाई: 22 फीट
रंग: केसरिया—जो धर्म, त्याग, शक्ति और वीरता का प्रतीक है

ध्वज पर तीन प्रमुख चिन्ह अंकित किए गए हैं- ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष, जिनमें से प्रत्येक का गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।

ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष- ध्वज की तीन मुख्य पहचान

सूर्य का प्रतीक
सूर्य, भगवान राम के सूर्यवंशीय वंश का द्योतक है। यह तेज, पराक्रम और ऊर्जा का प्रतीक है। रामायण और अयोध्या परंपरा में सूर्य का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

ॐ का समावेश
डिजाइनर ललित मिश्रा बताते हैं कि ध्वज पर ॐ का अंकन सनातन संस्कृति के अनंत अस्तित्व और निरंतर सृजन का संदेश देता है। यह दर्शाता है कि सनातन धर्म कभी समाप्त नहीं होता, बल्कि निरंतर परिवर्तन के साथ आगे बढ़ता है।

कोविदार वृक्ष का महत्व
सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था कोविदार वृक्ष की पहचान और उसका शास्त्रीय प्रमाण, क्योंकि यह वृक्ष त्रेतायुग में विशेष महत्व रखता था। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में कई बार कोविदार वृक्ष का उल्लेख मिलता है।ध्वज पर इसे शामिल करना न केवल पौराणिक संदर्भों को पुनर्स्थापित करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश भी देता है।

25 नवंबर- एक ऐतिहासिक पल की प्रतीक्षा
विवाह पंचमी के पावन अवसर पर होने वाला यह ध्वजारोहण केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि वैदिक इतिहास की पुनर्स्थापना का एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है। 25 नवंबर को पूरा देश और विश्वभर की हिंदू समुदाय की निगाहें अयोध्या पर टिकी होंगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिव्य ध्वज का अनावरण करेंगे। यह ध्वज न केवल राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास, अध्यात्म और प्रकृति संरक्षण का प्रेरणादायी संदेश भी देता रहेगा।

 

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