Bhalchandra Sankashti Chaturthi: कब मनाई भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें महत्व और पूजा विधि

Edited By Sarita Thapa,Updated: 09 Mar, 2025 05:01 AM

bhalchandra sankashti chaturthi

Bhalchandra Sankashti Chaturthi : हिंदू धर्म में हर चतुर्थी को बहुत खास माना जाता है। चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने का विधान है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष...

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi : हिंदू धर्म में हर चतुर्थी को बहुत खास माना जाता है। चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने का विधान है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष यानी 17 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन गणपति जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तो आइए जानते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 मार्च को रात 07 बजकर 33 मिनट पर होगी और इसका समापन 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी।  ऐसे में 17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

Bhalchandra Sankashti Chaturthi significance भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी महत्व
सनातन धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, बल और विवेक का प्रतीक माना जाता है। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्यों को करने के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं।

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi Puja Vidhi भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें।
अब एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
फिर दूर्वा घास, पीले फूलों की माला, फल, अक्षत आदि अर्पित करें।
उसके बाद गणेश जी को मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
फिर गणपति जी के नामों और मंत्रों का जाप करें।
अंत में बप्पा के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती करें।

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