Chaitra Navratri 5th Day: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा, भर जाएगा खुशियों से जीवन का हर कोना

Edited By Updated: 02 Apr, 2025 06:49 AM

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Chaitra Navratri 5th Day: चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद जी की मां हैं इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता पुकारा जाता है। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की...

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Chaitra Navratri 5th Day: चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद जी की मां हैं इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता पुकारा जाता है। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता। देवी स्कंदमाता बुद्ध ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। स्कंदमाता मनुष्य से माता-पिता की भूमिका को संबोधित करती है।  स्कंदमाता अपनी ऊपर वाली दाईं भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए हैं। नीचे वाली दाईं भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं। ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरदमुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। देवी स्कंदमाता का वर्ण पूर्णत: शुभ्र है अर्थात मिश्रित है। यह कमल पर विराजमान हैं, इसी कारण इन्हें “पद्मासना विद्यावाहिनी दुर्गा” भी कहते हैं। इनकी सवारी सिंह है।

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Skandmata favorite Bhog स्कंदमाता का प्रिय भोग
स्कंदमाता को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें। इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

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Story of Maa Skandmata मां स्कंदमाता की कथा 
स्कंदमाता को दुनिया की रचियता कहा जाता है और जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मनोवांछित इच्छा फल देती हैं। स्कंदमाता को पहाड़ों पर रहकर दुनिया के जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली देवी कहा जाता है। जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मनोवांछित फल देती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी माता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। 

पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस था जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द, जिनका दूसरा नाम कार्तिकेय था, को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप ले लिया। फिर उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। मां से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया था।

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Worship of Skandmata स्कंदमाता की पूजा: घर के ईशान कोण में हरे वस्त्र पर देवी स्कंदमाता का चित्र स्थापित करके उनका विधिवत दशोपचार पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, अशोक के पत्ते चढ़ाएं, गौलोचन से तिलक करें, मूंग के हलवे का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद भोग किसी गरीब को बांट दें।

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Mantra of Skandmata स्कंदमाता का मंत्र: ॐ स्कंदमाता देव्यै नमः॥

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Importance of worshiping Skandmata स्कंदमाता की पूजा का महत्व 
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही माता रानी अगर प्रसन्न हो जाएं तो स्वास्थ्य संबंधी सभी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं। खासतौर से त्वचा से जुड़ा रोग होने पर उसे दूर करने के लिए मां की पूरे विधि-विधान से पूजा करें। 

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