Chanakya Niti: जब अपने भी पराये लगें, तब चाणक्य की ये नीतियां बनेंगी आपका सबसे बड़ा सहारा

Edited By Updated: 23 Oct, 2025 07:00 AM

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में स्पष्ट कहा है कि जब इंसान पर विपत्ति आती है, तो अक्सर उसके अपने ही उसे पराया समझने लगते हैं और साथ छोड़ देते हैं। यह समय किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे अधिक कठिन होता है क्योंकि उसे अपनों से मिले...

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में स्पष्ट कहा है कि जब इंसान पर विपत्ति आती है, तो अक्सर उसके अपने ही उसे पराया समझने लगते हैं और साथ छोड़ देते हैं। यह समय किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे अधिक कठिन होता है क्योंकि उसे अपनों से मिले धोखे और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। ऐसे मुश्किल हालात में जहां भावनाएं कमजोर पड़ने लगती हैं, वहां चाणक्य की नीतियां हमें मानसिक शक्ति और सही राह दिखाती हैं। जब अपने भी पराये लगने लगें, तब चाणक्य की ये नीतियां आपका सबसे बड़ा सहारा बनेंगी:

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धन ही सच्चा मित्र है
चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा विपत्ति के समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए। जब अपने भी पराये हो जाते हैं, तब आपका संचित धन ही सबसे विश्वसनीय साथी होता है। भावुक होकर धन पर आश्रित न रहें। धन को अपनी सुरक्षा कवच मानकर बचत करें। यह धन ही आपको दोबारा खड़ा होने का अवसर देगा और किसी पर निर्भर नहीं रहने देगा।

अपने भेद कभी न खोलें
चाणक्य के अनुसार, बुद्धिमान व्यक्ति को अपने मन के विचार, धन की हानि, घर के झगड़े, पत्नी का चरित्र और अपमान की बातें कभी किसी को नहीं बतानी चाहिए। जब अपने पराये हो जाते हैं, तो आपकी कमजोरियों को हथियार बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। अपनी योजनाओं, मुश्किलों और कमजोरियों को गोपनीय रखें। कमजोरी का प्रदर्शन आपको और कमजोर बना सकता है।

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स्वार्थ ही सबसे बड़ी प्रेरणा है
चाणक्य ने रिश्तों की कड़वी सच्चाई बताते हुए कहा है कि हर कोई अपने स्वार्थ के लिए रिश्ता रखता है। जब अपने रिश्ते स्वार्थी लगें, तो निराश न हों। यह स्वीकार करें कि दुनिया स्वार्थ पर चलती है। आप भी अपनी ऊर्जा दूसरों को खुश करने में लगाने के बजाय अपने लक्ष्य और अपनी प्रगति पर लगाएँ। खुद का हित सबसे पहले देखें।

मूर्ख व्यक्ति से दूर रहें
चाणक्य स्पष्ट कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति से बहस करना या उसे सलाह देना व्यर्थ है। जब अपने लोग आपकी सलाह न मानें या बिना सोचे-समझे आपके विरोध में खड़े हो जाएं, तो उनसे दूर रहना ही बेहतर है। अपनी ऊर्जा को ऐसे लोगों पर बर्बाद न करें जो आपकी कीमत नहीं समझते। समझदार व्यक्ति को सम्मान दें, मूर्ख को नज़रअंदाज़ करें।

सकारात्मकता ही सबसे बड़ा कवच है
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुरे समय में भी व्यक्ति को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नकारात्मक विचार व्यक्ति को निष्क्रिय बना देते हैं।खुद को व्यस्त रखें। निरंतर प्रयास करते रहें। आपका मन ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है। मन को हार मानने न दें। यह विश्वास रखें कि हर कठिनाई के बाद एक नया अवसर अवश्य आता है।

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