Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jun, 2020 07:32 AM
इस वर्ष 1 जुलाई को देवशयानी एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन संसार के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर को छोड़ कर पाताल लोक राजा बलि के निवास स्थान में विश्राम को जाएंगे।
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Chaturmas 2020: इस वर्ष 1 जुलाई को देवशयानी एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन संसार के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर को छोड़ कर पाताल लोक राजा बलि के निवास स्थान में विश्राम को जाएंगे। भगवान विष्णु के पाताल लोक में विश्राम को जाने से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। देवशयानी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, पद्मनाभा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और वंदना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से चातुर्मास भी आरंभ हो रहा है।
देवशयानी एकादशी के दिन प्रातः उठकर नित्य कर्म से निवृत हो कर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम तथा भागवत पढ़ने व सुनने का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की प्रतिमा को विराजमान कर के अगर संभव हो तो शालिग्राम भी विराजित करने चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख से दूध-दही, शहद और घी मिलाकर अभिषेक भी कर सकते हैं। भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। भगवान को पीले वस्त्र, पीले फूल व मिठाई अर्पित करनी चाहिए तत्पश्चात तुलसी की माला के साथ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
चातुर्मास व्रत का पालन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे: -
पलंग पर ना सोये धरती पर बिछौना लगा कर सोना चाहिए।
शहद, मूली और बैंगन का सेवन न करें।
दही का उपयोग भी नहीं करना चाहिए।
शुद्ध सात्विक भोजन करें।
मांस, अंडा और मदिरा का सेवन न करें।
माना जाता है इस व्रत को विधिवत करने से मनुष्य को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और वो धन-धान्य से समृद्ध होता है। पद्म पुराण के अनुसार इस व्रत का पालन करने से जाने-अनजाने सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है। व्रत के दौरान भगवान विष्णु और पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है।
आचार्य लोकेश धमीजा
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