धनु राशि की असली पहचान | क्या कहते हैं ग्रह, नक्षत्र और भाग्य

Edited By Updated: 18 Jun, 2025 02:56 PM

Dhanu Rashi: यदि आपका नाम अंग्रेजी के अक्षर Y, B, D, F से शुरू होता है और हिंदी में आपके नाम का पहला अक्षर ये, यो, भ, भी, भू, धा, फ, भे से है। इस राशि का स्वामी भले ही गुरु है लेकिन यह राशि अग्नि तत्व की राशि होने के कारण इस राशि के जातक स्वभाव में...

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Dhanu Rashi: यदि आपका नाम अंग्रेजी के अक्षर Y, B, D, F से शुरू होता है और हिंदी में आपके नाम का पहला अक्षर ये, यो, भ, भी, भू, धा, फ, भे से है। इस राशि का स्वामी भले ही गुरु है लेकिन यह राशि अग्नि तत्व की राशि होने के कारण इस राशि के जातक स्वभाव में थोड़े गुस्से वाले होते हैं। यह मेल राशि है लिहाजा यह अक्सर सामने वाले जातक पर डोमिनेट करने की कोशिश करते हैं। धनु राशि के जातक भले ही थोड़े गुस्से वाले हो लेकिन यह काफी इंटेलिजेंट होते हैं और इंटेलिजेंस इन्हें राशि के स्वामी गुरु से मिलती है। यह हमेशा नई चीजें सीखने के लिए उतावले रहते हैं और अपने नॉलेज के दम पर जीवन में बहुत तरक्की करते हैं। गुरु की राशि होने के कारण ऐसे जातक स्वभाव से ही गिवर होते हैं यानी कि देने वाले होते हैं। अक्सर दूसरों की मदद खुल के खुले दिल के साथ और बिना अपेक्षा के करते हैं।

धनु राशि के जातकों को यह गुण राशि के स्वामी गुरु से मिलता है और गुरु का स्वामित्व होना ही इस राशि को सात्विक राशि भी बनाता है। धनु राशि का सिंबल धनुर्धन जैसा है यानी तीर कमान थामे हुए  यानी यह जातक लक्ष्य के पक्के होते हैं। धनु राशि काल पुरुष की कुंडली में नौवें भाव में आती है और यह भाग्य स्थान होता है लिहाजा इन्हें जीवन में अक्सर भाग्य का साथ मिल जाता है। अपने लक्ष्य के पक्के होने के कारण अपने इनिशिएटिव में यह कामयाब भी हो जाते हैं। धनु राशि एक द्विस्वभाव राशि है इस कारण यह जातक अक्सर कंफ्यूज रहते हैं। इन्हें अपने ही फैसले पर कॉन्फिडेंस नहीं होता जिस कारण डबल माइंडेड होने के चलते यह जातक अक्सर कई बार जिंदगी में गलत फैसले भी ले लेते हैं। जिनका इन्हें बाद में नुकसान होता है। गुरु की राशि होने के कारण ऐसे जातक अक्सर अपने कार्य और जीवन से संतुष्ट होते हैं और दुनियावी सुख- सुविधाओं के पीछे ज्यादा भागने की बजाय यह जातक ज्ञान को ज्यादा अहमियत देते हैं। जहां से भी इन्हें ज्ञान की बात मिलती है उन्हें यह जातक तुरंत अडॉप कर लेते हैं। इस राशि की दिशा पश्चिम होती है। इस कारण ऐसे जातकों को यानी कि धनु राशि के जातकों को अक्सर पश्चिम दिशा का घर और पश्चिम दिशा का ट्रैवल खूब रास आता है। धनु राशि चूंकि रात्रि वाली राशि है, तो इन्हें आप अक्सर रात के समय ज्यादा एक्टिव पाएंगे। सूर्य अस्त के बाद इनकी बॉडी और माइंड ज्यादा एक्टिव रहते हैं और रात को ही ज्यादा काम ये करते हैं। 

करियर- करियर और पैसे की धनु राशि के जातक केतु के दो चरणों शुक्र के पूवाषाढ़ा नक्षत्र के चारों चरणों और सूर्य के उत्तर नक्षत्र के पहले चरण में पैदा होते हैं। इस राशि के अधिकतर जातक सूर्य और चंद्रमा की महादशा में ही करियर की शुरुआत करते हैं और करियर मंगल और राहु की दशा में पीक पर होता है। केतु और शुक्र के नक्षत्र में पैदा हुए जातक 30 से 50 साल की उम्र में मंगल और राहु की दशा से गुजरते हैं। यह दोनों ग्रह कुंडली में आठवें और 12वें भाव में न हो तो धनु राशि के जातकों को इन ग्रहों की महादशा में खूब तरक्की भी मिलती है। मंगल इस राशि के लिए पंचम भाव में भाव के अलावा 12वें भाव के स्वामी बनते हैं लिहाजा मंगल की दशा में संतान सुख के अलावा विदेश यात्रा का भी अवसर मिल जाता है। जबकि राहु की महादशा ऐसे जातकों के लिए आय के एक से ज्यादा साधन भी लेकर आती है। बुध इन जातकों के लिए प्रोफेशन वाले स्थान के स्वामी बनते हैं। जबकि शुक्र आय स्थान और शनि धन स्थान के स्वामी बन जाते हैं। यह ग्रह कुंडली में खराब स्थिति में हो तो करियर और धन से संबंधित समस्याएं आती हैं। यदि इन ग्रहों की पोजीशन खराब है, तो इनके उपाय करने से राहत मिलती है।

रिलेशनशिप- धनु राशि के जातकों की उन राशियों के साथ ज्यादा बनती है जिनके स्वामी मंगल गुरु या सूर्य हैं यानी कि सिंह राशि, मीन राशि, धनु राशि, मेष राशि, वृश्चिक राशि वाले जातकों के साथ इनकी अच्छी अंडरस्टैंडिंग होती है। धनु राशि के जातकों के लिए सातवें भाव में यानी कि शादी वाले भाव में मिथुन राशि आती है लिहाजा इनका पार्टनर बुध के बुध से प्रभावित होता है। पार्टनर काफी कैलकुलेटिव और इंटेलिजेंट होता है। वह यंग नजर आता है इनके पार्टनर के जन्म स्थान के पश्चिम में मिलने की संभावना वह ज्यादा रहती है।

हेल्थ- स्वास्थ्य की कालपुरुष की कुंडली में धनु राशि नौवें भाव में आती है और नौवें भाव का संबंध ह्यूमन बॉडी में जांघ के साथ होता है। इस राशि के जातकों को जांघ में दर्द की समस्या के अलावा नितंब से संबंधित परेशानियां भी आ सकती हैं। लोअर बैक से संबंधित इशू आ सकता है। धनु राशि के जातकों का लाइफस्टाइल अनियमित होने के कारण ईटिंग हैबिट्स खराब हो जाती हैं। इन जातकों को फैटी लीवर और लीवर में सूजन के अलावा किडनी से संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। यह जातक अक्सर डिहाइड्रेशन से संबंधित परेशानियों में घिरे रहते हैं। इन जातकों में एनर्जी ज्यादा होने के कारण कई बार ओवरएक्टिव हो जाते हैं। जिसके कारण इन्हें ब्लड से रिलेटेड समस्या भी हो जाती है। कुछ को शुगर की समस्या आ जाती है। जिस कारण इन्हें हार्ट की समस्या भी आती है। इसके अलावा कुछ जातकों को मानसिक परेशानी और स्लीपिंग डिसऑर्डर की भी समस्या होती है। ऐसा उन जातकों के साथ होता है, जिनका चंद्रमा कुंडली में बहुत डिस्टर्ब होता है। इन समस्याओं से बचने के लिए इन जातकों को संतुलित आहार लेना चाहिए। इसके अलावा इन्हें नियमित तौर पर योग और एक्सरसाइज करनी चाहिए। इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग रखने के लिए जड़ी बूटियों और आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए।

उपाय- धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य भाग्य स्थान के स्वामी बनते हैं। जबकि मंगल पंचम स्थान के स्वामी बन जाते हैं। अपने राशि स्वामी गुरु के स्टोन पुखराज के अलावा यह जातक सूर्य का रूपी और मंगल का मुंगा भी धारण कर सकते हैं। कोई भी स्टोन धारण करने से पहले यह सुनिश्चित जरूर करें कि जिस ग्रह का स्टोन धारण कर रहे हैं वह स्टोन कुंडली में छठे, आठवें और 12वें भाव में विराजमान न हो। यदि स्टोन धारण नहीं कर सकते तो भाग्य स्थान के स्वामी सूर्य के उपाय के तौर पर रविवार के दिन गुड़, गेहूं, घी, केसर का दान कर सकते हैं। इस के साथ ही  सूर्य का बीज मंत्र ओम भास्कराय नमः का जप भी कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आप रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो धनु राशि के जातकों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना काफी फायदेमंद रहता है। पंचमुखी रुद्राक्ष का संबंध सबसे कल्याणकारी रूप महादेव के साथ होता है। महादेव के पांच कार्य हैं सृष्टि का निर्माण, पालन, संहार, तिरोभाव और अनुग्रह यानी कि यह सभी कार्य करने के लिए भगवान शिव के पांच मुख है। इन्हीं पांच मुखों से ओम नमः शिवाय का मंत्र का जाप कर सकते हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से  ब्लड प्रेशर शुगर हार्ट से संबंधित प्रॉब्लम के अलावा पेट से संबंधित बीमारियों से भी राहत मिलती है। 

नरेश कुमार
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