Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 May, 2021 05:45 AM
ईद-उल-फितर, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है, मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार है। ‘ईद’ से भाव है खुशी, ‘फितर’ का अर्थ रोजे खोलने या मुकम्मल करना है। ईद का दिन खुशी और अल्लाह को धन्यवाद
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Eid-Ul-Fitr 2021: ईद-उल-फितर, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है, मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार है। ‘ईद’ से भाव है खुशी, ‘फितर’ का अर्थ रोजे खोलने या मुकम्मल करना है। ईद का दिन खुशी और अल्लाह को धन्यवाद देने के दिन के तौर पर मनाया जाता है। रमजान के रोजों में एक सच्चा मुसलमान सुबह से शाम तक अल्लाह की इच्छा के अनुसार रहता है। खाने-पीने की चीजें होने के बावजूद, वह उनसे मुंह मोड़ लेता है, शारीरिक इच्छाओं से दूर रहता है और अपने मन (नफस) को नियंत्रित करता है।
इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल. ने इरशाद फरमाया कि हर कौम के लिए एक खुशी का दिन होता है, ईद हमारे लिए एक खुशी का दिन है क्योंकि इस दिन रोजों से फारिग हो जाते हैं और अल्लाह के मेहमान होते हैं तथा रब्ब की ओर से माफी का परवाना मिल जाता है।
ईद का दिन आपसी प्रेम और समानता का सबक सिखाता है। हमारी खुशी वास्तव में केवल तभी है जब हम गरीबों, अनाथों, असहायों, विधवाओं और बेसहारा लोगों को इस खुशी में शामिल करें।
इसके लिए ‘सदका-ए-फितर’ यानी 1 किलो 633 ग्राम गेहूं या 3 किलो 266 ग्राम जौ या उनकी कीमत परिवार के प्रत्येक सदस्य को ईद की नमाज से पहले जरूरतमंदों को अदा करनी जरूरी है, ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें।
हजरत अब्दुल्ला बिन अब्बास रकी कहते हैं कि हजरत मुहम्मद सल. ने सदका-ए-फितर को जरूरी किया है ताकि रमजान में गलती से जो बेकार बातें कही या सुनी गईं या दिल में बुरे विचार आए हों, उससे रोजे भी पाक हो जाते हैं और गरीबों के लिए खाने-पीने का सामान भी हो जाता है। ईद की नमाज एक खुली जगह में पढ़ी जाती है, जिसको ईदगाह कहते हैं।
ईद की नमाज के बाद दुआ की जाती है- हे अल्लाह, जैसे हमने एक महीने तक आपकी पसंद का जीवन जिया, भविष्य में भी हमें अपनी पसंद का जीवन जीने की ताकत दें। ईद के दिन सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे को गले लगाते, देश की एकता का संदेश देते हैं। बच्चों को ईदी, बड़ों को ईद की बधाई दी जाती है।