Kundli Tv- मृत्यु के बाद क्यों करना चाहिए गरुड़ पुराण का पाठ?

Edited By Jyoti,Updated: 28 Sep, 2018 04:23 PM

garuda purana

हिंदू धर्म में बहुत से पुराण व ग्रंथ प्रचलित है। इन ग्रंथों में एेसी बहुत सी बातें पढ़ने को मिलती है, जो मानव कल्याण के लिए बहुत अच्छी मानी गई है।

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हिंदू धर्म में बहुत से पुराण व ग्रंथ प्रचलित है। इन ग्रंथों में एेसी बहुत सी बातें पढ़ने को मिलती है, जो मानव कल्याण के लिए बहुत अच्छी मानी गई है। इन्हीं में से एक है गरुड़ पुराण, जिनमें न केवल इंसान के जन्म से संबंधित बल्कि मृत्यु से जुड़ी बातें भी जानने को मिलती है। 
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गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु के चरित्र के बारे में बताया गया है। कहा जाता है कि पहले इसमे 19000 श्लोक थे, लेकिन आज के समय में इसमें केवल 7000 श्लोक ही हैं। इसमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों के साथ-साथ श्राद्ध तक के बारे में पूरा वर्णन किया गया है। 

अक्सर सुना होगा कि घर में किसी की भी मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। लेकिन एेसा क्यों और किस भाव से किया जाता है इसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते होंगे।
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गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के समय यमलोक से दो यमदूत आते हैं, जो जीव की आत्मा को उसके शरीर से निकाल पाश में बांधकर ले जाते हैं। आपको बता दें कि यमदूत आंखों से अंधे और कानों से बहरे होते हैं ताकि वे आत्मा को रोता और चिल्लाता सुन-देख न सकें। 

यमलोक पहुंचने के बाद आत्मा को सभी यातनाएं देने के बाद यमलोक की आज्ञा के साथ आकाश मार्ग से वापस उसके घर छोड़ दिया जाता है। कहा जाता है कि वह आत्मा अपने शरीर में वापस घुसना चाहती है लेकिन वह यमदूत के पाश से मुक्त नहीं हो पाती है। पिंडदान करने तक वह जीव आत्मा भूखी-प्यासी तड़पती हुई यमलोक चल जाती है। जब तक उस आत्मा के वंशज उस आत्मा का पिंड दान नहीं कर देते तब तक आत्मा दुखी होकर घुमती रहती है। 
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काफी यातनाएं भुगतने के बाद उसे विभिन्न योनियों में जन्म मिलता है। इसलिए मृत्यु के बाद पूरे 10 दिन तक गरुड़ पुराण का पाठ घर रखा जाता है और दसवें दिन आत्मा का पिंडदान किया जाता है। 
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