Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Apr, 2025 06:30 AM

Good Friday 2025: प्रभु यीशु मसीह 2025 वर्ष पहले मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर उस संबंध की स्थापना करने के लिए आए, जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर स्वर्ग के राज के लिए तैयार करता है। प्रभु यीशु मसीह ने व्यवस्था का असली महत्व समझाया, जो...
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Good Friday 2025: प्रभु यीशु मसीह 2025 वर्ष पहले मनुष्य के रूप में जन्म लेकर पृथ्वी पर उस संबंध की स्थापना करने के लिए आए, जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर स्वर्ग के राज के लिए तैयार करता है। प्रभु यीशु मसीह ने व्यवस्था का असली महत्व समझाया, जो एक-दूसरे को प्यार करने, माफ करने, शत्रुओं को, पड़ोसियों को भी प्यार करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपना कीमती रक्त बहाया, यहां तक कि प्रभु यीशु मसीह को धर्म और न्याय की स्थापना करने तथा मनुष्य को पाप के दलदल से निकालने के लिए बहुत ही जलालत भरी और दर्दनाक सलीबी मौत झेलनी पड़ी।
अपमानजनक सलीबी मौत
प्रभु यीशु मसीह को तत्कालीन रोम सरकार ने सलीब पर चढ़ाया। उस समय रोम में सर्वाधिक गंभीर अपराध करने वाले दोषी को बहुत जलालत भरी सलीबी मौत दी जाती थी। उस समय के हाकिमों ने प्रभु यीशु मसीह के साथ भी वही व्यवहार किया। हाकिमों ने राज्य के दंड देने वाले सारे कानूनों को पूर्णत: नजरअंदाज करके पिलातूस हाकिम द्वारा प्रभु यीशु मसीह को निर्दोष बताने के बावजूद प्रधान याजकों, धार्मिक गुरुओं तथा बड़ी विरोधी भीड़ की मांग पर पिलातूस ने प्रभु यीशु मसीह को सलीब देने के लिए उन्हें सौंप दिया।
सबसे प्रसिद्ध बलिदान
प्रभु यीशु मसीह की सलीबी मृत्यु इतिहास की सबसे प्रसिद्ध कुर्बानी है। उन्हें सलीब देने से पहले 39 कोड़े मारे गए, सिर पर कांटों का ताज पहनाया गया, उनका मजाक उड़ाया गया। उनके हाथों और पैरों में कीलें ठोकी गईं, पसली में बर्छा मारा गया। प्रभु यीशु मसीह ने ऐसी पीड़ा में भी उन्हें सलीब चढ़ाने वालों के लिए प्रार्थना की, ‘हे परमेश्वर! इन्हें माफ करना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।’
ऐसे दया के सागर थे प्रभु यीशु मसीह!

दर्दनाक सलीबी यात्रा
लकड़ी की बनी हुई क्रॉस की आकृति की लगभग 16 किलो वजनी, 14 फुट ऊंची और 6 फुट चौड़ी सलीब उठाकर प्रभु यीशु मसीह खुद 2000 फुट ऊंची जगह गुलगुश्रो (खोपड़ी) नामक पहाड़ी पर लेकर गए, जहां उन्हें सलीब दिया गया। इस दर्दनाक सलीबी यात्रा के दौरान प्रभु यीशु मसीह तीन बार गिरे और एक बार शमाऊन कुरैनी नामक व्यक्ति ने उन्हें सलीब उठाने में मदद की। वह 6 घंटे सलीब पर रहे।

जब प्राण त्यागे
परमेश्वर ने दोपहर से तीसरे पहर तक धरती पर पूरा अंधेरा कर दिया (मरकुस 15.33)। प्रभु यीशु मसीह की मौत तीसरे पहर हुई। जब इन्होंने प्राण त्यागे तो हैकल का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट कर दो भागों में बंट गया। धरती कांपी, पत्थर चटखे, कुछ कब्रें खुल गईं और सोए हुए संतों की अनेकों लाशें उठाई गईं जो प्रभु यीशु मसीह के पुन: जी उठने के बाद उन कब्रों में से निकल कर पवित्र शहर यरुशलम के अंदर चले गए और अनेकों को दिखाई दिए। पवित्र बाईबल में लिखा है कि जब प्रभु यीशु मसीह ने प्राण त्यागे तो उस समय आए भूचाल और समस्त घटनाओं को देख कर वहां खड़े लोग डरे और बोले, ‘यह सचमुच परमेश्वर का पुत्र था।’ (मती 27, 45:56)
प्रभु यीशु मसीह के जन्म से लेकर सलीबी मौत और फिर तीसरे दिन जी उठने के बारे में हजारों वर्ष पहले नबियों ने भविष्यवाणी कर दी थी, जो पवित्र बाईबल के पुराने नियम में लिखी हुई है।
यहां तक कि प्रभु यीशु मसीह को भी अपने साथ होने वाली घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी थी। उन्होंने अपनी सलीबी मौत और अपने 12 शिष्यों में से एक द्वारा 30 सिक्कों के लालच में उन्हें पकड़वाने के संबंध में पहले ही बता दिया था।
प्रभु यीशु मसीह की कुर्बानी के बारे में यशायाह 53:4 में लिखा है- ‘सचमुच उसने हमारे गम उठा लिए और हमारे दुख उठाए। वह हमारे अपराधों के लिए घायल किया गया। हमारे सभी गुनाहों के कारण कुचला गया।’
मुक्ति का द्वार खोल दिया
प्रभु यीशु मसीह का बलिदान ‘गुड फ्राईडे’ के तौर पर दुनिया भर के मसीही बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। मसीही इस पवित्र दिन को अपने जीवन में विशेष महत्व देते हुए कबूल करते हैं कि प्रभु यीशु मसीह ने अपना बहुमूल्य बलिदान देकर उनके लिए मुक्ति का रास्ता खोल दिया।
इन दिनों में मसीह विश्वासी दुआ में रहते हैं और चर्चों में आयोजित प्रार्थना सभाओं में यीशु मसीह द्वारा मानवता के भले के लिए सलीब पर उठाए दुख का जिक्र किया जाता है।
