गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर: कृष्ण के दर्शन से मिलता है आत्मा को परम आनंद

Edited By Updated: 16 Aug, 2025 02:28 PM

gurudev sri sri ravi shankar

Sri Sri Ravi Shankar: हर प्राणी केवल एक ही वस्तु खोज रहा है और वह है आनंद। चाहे कोई कहीं भी ढूंढ रहा हो और कुछ भी खोज रहा हो, चाहे वह भौतिक हो या आध्यात्मिक, फिल्मों या बार में, चर्च या मंदिर में हो, चाहे वह धन, यश या सत्ता हो, असली खोज केवल आनंद की...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Sri Sri Ravi Shankar: हर प्राणी केवल एक ही वस्तु खोज रहा है और वह है आनंद। चाहे कोई कहीं भी ढूंढ रहा हो और कुछ भी खोज रहा हो, चाहे वह भौतिक हो या आध्यात्मिक, फिल्मों या बार में, चर्च या मंदिर में हो, चाहे वह धन, यश या सत्ता हो, असली खोज केवल आनंद की ही है और परमात्मा ही संपूर्ण आनंद है। ईश्वर सत्, चित् और आनंद है। आनंद का परिष्कृत रूप ही परमानंद है, ऐसा आनंद जिसमें कोई व्याकुलता, पीड़ा या दुःख न हो; और कृष्ण उस परम आनंद के प्रतीक हैं। भगवान कृष्ण चंचल और नटखट हैं, और चंचलता निर्मल आनंद से ही उपजती है। किसी भी तरह की परिस्थिति कृष्ण से उनका आनंद छीन नहीं पाती।

PunjabKesari Sri Sri Ravi Shankar

नटखटपन आनंद का स्वाभाविक परिणाम है। कृष्ण ने अनेक बार असत्य कहा और अपने आसपास के लोगों को खिझाया, वे लोग स्वयं चाहते थे कि कृष्ण उन्हें सताएं। वे क्रोध में भर कर कृष्ण की शिकायत करने आते, पर जैसे ही वह उनके सामने आते, खिलखिलाने लगते, और उनका सारा क्रोध मिट जाता। शुद्ध आनंद की उपस्थिति में शिकायतें विलीन हो जाती हैं और जीवन एक खेल सा लगता है।

कृष्ण इतने आनंदित कैसे थे? क्या उनका जीवन केवल सुख-सुविधाओं से भरा था? नहीं, उनके जीवन में तो सब कुछ उलझा हुआ और अस्त-व्यस्त था, फिर भी उनकी मुस्कान सबको मोह लेती थी। उनकी मुस्कान इतनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी कि लोग अपना दुःख भूल जाते और आनंद से भर जाते। जब सब कुछ स्थिर और सुचारु चल रहा हो, तब मुस्कुराना आसान है, पर जब सब उलट-पुलट हो और तब भी आप मुस्कुराएँ, तो यह सचमुच एक उपलब्धि है। रणभूमि में, जब चारों ओर अराजकता हो और स्पष्टता न हो, फिर भी जो व्यक्ति अपने मित्र को गहरी जागरूकता, निर्मल मन और उच्चतम ज्ञान दे सके, वह अद्भुत और अकल्पनीय है। कृष्ण का हर पहलू हमें विस्मित कर देता है।

PunjabKesari Sri Sri Ravi Shankar

आनंद जीवन का नृत्य है, और कृष्ण का जीवन वही शाश्वत नृत्य है। उनके खड़े होने का ढंग ही उनके संपूर्ण दर्शन को व्यक्त करता है, हाथों में बांसुरी और एक पाँव दृढ़ता से जमीन पर। नृत्य तभी संभव है जब पाँव पहले धरती को छूए। यदि पांव कीचड़ में धंसे हों तो नृत्य नहीं हो सकता, और यदि पाँव धरा से ऊपर हों तो भी नहीं। एक पांव धरती पर दृढ़ता से टिके और दूसरा हवा में हो, तभी नृत्य घटित होता है। कृष्ण हमारे भीतर छिपी सभी संभावनाओं का पूर्ण प्रस्फुटन हैं। भगवान कृष्ण का दिव्य नृत्य समाज के हर वर्ग को उनकी ओर आकर्षित करता था। कठोर तपस्वी संत हों या सरल, सहज गोपियां, सब समान रूप से उनकी ओर खिंच जाते थे।सबसे बड़ा आकर्षण तो दिव्यता का ही होता है, वह ऊर्जा जो सबको अपनी ओर खींच लेती है।

कृष्ण वह निराकार केंद्र हैं, जो हर जगह है। संसार में जो भी आकर्षण है, वह केवल कृष्ण से ही आता है। अक्सर लोग आकर्षण के पीछे छिपी आत्मा को नहीं देख पाते और केवल बाहरी खोल को थाम लेते हैं; जैसे ही वे उस खोल को पाने की कोशिश करते हैं, कृष्ण एक लीला करते हैं, अपना आत्मभाव खींच लेते हैं, और तब उनके हाथ केवल खाली खोल और आंखों में आँसू रह जाते हैं। राधा की तरह चतुर बनो, कृष्ण की लीला में मत उलझो । कृष्ण राधा से कभी बच नहीं पाए, क्योंकि राधा का सम्पूर्ण जगत कृष्ण से ही भरा था। यदि तुम देख सको कि जहाँ भी आकर्षण है, वहां कृष्ण हैं, तो तुम राधा बन जाओगे! तब तुम अपने केंद्र में स्थित हो जाओगे।

PunjabKesari Sri Sri Ravi Shankar


 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!