Edited By Sarita Thapa,Updated: 13 Nov, 2025 09:34 AM
गुरुदेव सात साल के अंतराल के बाद कश्मीर दौरे पर गए, वहां उन्होंने कहा, “कश्मीर के युवाओं के दिल प्रेम से भरे हुए हैं। वे ऊर्जावान,एकाग्रचित्त और अपार संभावनाओं से भरे हुए हैं।”
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गुरुदेव सात साल के अंतराल के बाद कश्मीर दौरे पर गए, वहां उन्होंने कहा, “कश्मीर के युवाओं के दिल प्रेम से भरे हुए हैं। वे ऊर्जावान,एकाग्रचित्त और अपार संभावनाओं से भरे हुए हैं।”
श्रीनगर, 11 नवम्बर 2025: विश्वविख्यात मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी शांति, सद्भाव और तनाव-मुक्त, हिंसा-मुक्त तथा नशा-मुक्त कश्मीर हो, यह संदेश लेकर कश्मीर घाटी पहुंचे। हजारों लोग इस ऐतिहासिक यात्रा की प्रतीक्षा में थे। गुरुदेव का स्वागत श्री शांतमणु, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा किया गया।
नशीली दवाओं का दुरुपयोग कश्मीर के युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बनकर उभरा है, ऐसे में बख्शी स्टेडियम में आशा और संकल्प की एक शक्तिशाली लहर उठी, जहां 50 कॉलेजों और 4 विश्वविद्यालयों के 20,000 से अधिक छात्रों ने एकजुट होकर नशा-मुक्त कश्मीर के निर्माण का संकल्प लिया। यह विशेष ‘एडयु यूथ मीट’ (Edu Youth Meet) जम्मू-कश्मीर सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित की गई थी।
छात्रों, शिक्षकों और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए गुरुदेव ने कहा, “ कश्मीर नशा-मुक्त होगा। मेरा सपना हमेशा से रहा है- एक ऐसा समाज जो हिंसा से मुक्त हो, शरीर जो रोगों से मुक्त हो, मन जो भ्रम से मुक्त हो, बुद्धि जो संकोच से मुक्त हो और आत्मा जो दुख से मुक्त हो। यह हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है। मैं चाहता हूं कि हर चेहरे पर मुस्कान हो,ऐसी मुस्कान जिसे कोई छीन न सके। यही सच्ची शिक्षा का प्रतीक है।”
नशा-मुक्ति का रहस्य बताते हुए गुरुदेव ने कहा
“इसका रहस्य हमारे अपने श्वास में है। अपने ही श्वास की शक्ति, ध्यान और कुछ अभ्यासों के माध्यम से कोई भी आसानी से नशे की लत से बाहर आ सकता है।”
कश्मीर को प्राचीन ज्ञान की भूमि बताते हुए गुरुदेव ने ‘क्वांटम फिजिक्स’ और ‘कश्मीर शैव दर्शन’ के स्पंदकारिका ग्रंथ के बीच एक अद्भुत समानता प्रस्तुत की।
“ध्यान कश्मीर के लिए कोई नई बात नहीं है,” उन्होंने कहा। “यह कश्मीर की धरोहर है। इस भूमि ने दुनिया को ध्यान दिया है, और इसका किसी धार्मिक विश्वास से कोई संबंध नहीं है। ध्यान बुद्धि को तेज और मन को प्रसन्न रखता है।”
एकता और अपनत्व की भावना जगाते हुए गुरुदेव ने कहा- “हैं एक नूर, उसी नूर के हैं हम सब। उस नूर से जुड़ गए तो कोई पराया नहीं लगता, सब अपने लगते हैं। इसी को हम कहते हैं -जीवन जीने की कला।”
उन्होंने आगे कहा -“कश्मीरी युवा सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हैं। जीवन बहुत छोटा है। मोहब्बत करने के लिए समय कम है, फिर हम झगड़ों में क्यों पड़ें।”
दिन के पहले भाग में, गुरुदेव ने कश्मीर विश्वविद्यालय, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी तथा शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय सहित 7 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और 30 प्रमुख कॉलेजों के प्राचार्यों से विचार-विमर्श किया। उन्होंने कश्मीर के प्रतिष्ठित नागरिकों से भी मुलाकात कर सामाजिक पहल और युवाओं के भविष्य पर चर्चा की।
पिछले कुछ महीनों में, कश्मीर के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने कैंपस में द आर्ट ऑफ़ लिविंग के हैप्पीनेस प्रोग्राम में भाग लिया है, जहां उन्होंने अपने मन और भावनाओं को संभालने की शक्तिशाली तकनीकें सीखीं; सुदर्शन क्रिया, जो सांस का उपयोग करके तनाव कम करने की एक शक्तिशाली तकनीक है; और सरल लेकिन जीवन बदलने वाली बातें सीखीं जो जीवन में संतुलन, शांति और खुशी लाती हैं, जिससे व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता से जी पाता है।
पिछले कुछ महीनों में, कश्मीर के कई कॉलेजों के छात्रों ने आर्ट ऑफ लिविंग के ‘हैप्पीनेस प्रोग्राम’ में भाग लिया है, जहां उन्होंने मन और भावनाओं को संतुलित रखने की शक्तिशाली तकनीकें सुदर्शन क्रिया सीखी, जो श्वास के माध्यम से तनाव दूर करती है। सरल किंतु जीवन-परिवर्तनकारी यह ज्ञान, जीवन में संतुलन, शांति और आनंद लाता है। दिन का समापन गुरुदेव की जम्मू-कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा से भेंट के साथ हुआ।
12 नवम्बर को गुरुदेव श्रीनगर सेंट्रल जेल का दौरा करेंगे, जहां कैदी ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के ‘जेल प्रोग्राम’ में भाग ले रहे हैं। यह कार्यक्रम कैदियों को गहरे तनाव, क्रोध और अपराधबोध से मुक्त करता है, जिससे उनमें भावनात्मक स्थिरता और सकारात्मक व्यवहार विकसित होता है। पूर्व के प्रतिभागियों ने गहन शांति, आक्रामकता में कमी और जीवन के प्रति नई आशा का अनुभव किया है। यह कार्यक्रम जेलों में हिंसा घटाने और कैदियों के समाज में पुनर्वास को भी प्रोत्साहित करता है।