Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jul, 2025 06:56 AM

Hariyali Teej 2025 Puja: प्रकृति पूजन और हरियाली का उत्सव है श्रावण। सावन मास वर्षा, हरियाली और नवजीवन का प्रतीक होता है। हरियाली तीज प्रकृति से जुड़ाव और उसकी उपासना का दिन है। हरियाली तीज एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत...
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Hariyali Teej 2025 Puja: प्रकृति पूजन और हरियाली का उत्सव है श्रावण। सावन मास वर्षा, हरियाली और नवजीवन का प्रतीक होता है। हरियाली तीज प्रकृति से जुड़ाव और उसकी उपासना का दिन है। हरियाली तीज एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा) में महिलाओं द्वारा श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। यह सावन मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि (तीज) को आता है और प्रकृति, प्रेम व सौंदर्य का उत्सव माना जाता है।

Special Tips for Hariyali Teej हरियाली तीज के विशेष टिप्स
कुमारी कन्याओं को भी यह व्रत उत्तम वर की प्राप्ति के लिए करना चाहिए।
हरियाली तीज पर मेहंदी लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह सौभाग्य का प्रतीक है।
हरे वस्त्र और हरे श्रृंगार इस दिन अत्यंत शुभ माने जाते हैं, यह प्रेम, उर्वरता और नवजीवन का प्रतीक होता है।

Hariyali Teej Puja Vidhi हरियाली तीज पूजा विधि
तीज से एक दिन पहले मेहंदी लगा ली जाती है। तीज के दिन सुबह स्नानादि करके श्रृंगार करके, नए वस्त्र व आभूषण धारण करके मां गौरी की पूजा करते हैं। इसके लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिव जी, पार्वती व गणेश जी की मूर्ति रख कर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत आदि से पूजन करने का विधान है। इसके बाद आठ पूरी, छपूओं से भोग लगाती हैं।

फिर यह बायना जिसमें चूड़िया, श्रृंगार का सामान व साड़ी, मिठाई, दक्षिणा या शगुन राशि इत्यादि अपनी सास, जेठानी या ननद को देते हुए चरण स्पर्श करती हैं। इसके बाद पारिवारिक भोजन किया जाता है। सामूहिक रूप से झूला झूलना, तीज मिलन, गीत संगीत, जलपान आदि किया जाता है। कुल मिला कर यह पारिवारिक मिलन का सुअवसर होता है।

तीज पर ही गौरा विरह अग्नि में तपकर शिव से मिली थी। ये तीन सूत्र सुखी पारिवारिक जीवन के आधार स्तंभ हैं जो वर्तमान आधुनिक समय में और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। आज के दिन महिलाओं को तीन चीजों से दूर रहना चाहिए- पति से छल कपट, झूठ-दुर्व्यवहार, पर निन्दा।
