Hawan: न केवल सनातन संस्कृति बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी घर की नकारात्मकता दूर करता है हवन

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Mar, 2024 08:54 AM

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आदिकाल से ही सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परम्परा रही है। औषधीय युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है। अनेक वैज्ञानिकों एवं धर्मगुरुओं के अनुसार, जिस स्थान पर हवन किया जाता है

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Hawan: आदिकाल से ही सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परम्परा रही है। औषधीय युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है। अनेक वैज्ञानिकों एवं धर्मगुरुओं के अनुसार, जिस स्थान पर हवन किया जाता है, वहां उपस्थित लोगों पर तो उसका सकारात्मक असर पड़ता ही है, साथ ही वातावरण में मौजूद रोगाणु और विषाणुओं के नष्ट होने से पर्यावरण भी शुद्ध होता है, शरीर स्वस्थ्य रहता है क्योंकि हवन में काम में ली जाने वाली जड़ी-बूटी युक्त हवन सामग्री, शुद्ध घी, पवित्र वृक्षों की लकड़िया, कपूर आदि के जलने से उत्पन्न अग्नि और धुएं से वातावरण शुद्ध तो होता ही है, नकारात्मक शक्तियां भी दूर भागती हैं। माना जाता है कि एक बार हवन करने से घर को लम्बे समय तक शुद्ध रखा जा सकता है।

Havan destroys germs and viruses हवन से रोगाणु और विषाणु होते हैं नष्ट
ग्रंथों में अनेक तरह के यज्ञ और हवन बताए गए हैं, जिनका शुभ प्रभाव न केवल व्यक्ति, बल्कि वायुमंडल को भी लाभ पहुंचाता है। अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी स्पष्ट हुआ है कि हवन और यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्र, प्रज्जवलित होने वाली अग्रि से अनेक प्राकृतिक लाभ मिलते हैं, जो हमें एवं हमारी प्रकृति को लाभ पहुंचाते हैं।

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वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्नि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री यानी समिधा वातावरण में फैले रोगाणुओं और विषाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है। साथ ही उनकी सुगंध व ऊष्मा मन व तन की अशांति व थकान को भी दूर करने वाली होती है। इस तरह हवन स्वस्थ और निरोगी जीवन का श्रेष्ठ धार्मिक और वैज्ञानिक उपाय है।

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान द्वारा किए गए एक शोध में पता चला है कि यज्ञ और हवन के दौरान उठने वाले धुएं से वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणु 94 प्रतिशत तक नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और इससे बीमारी फैलने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।

Get relief from planetary defects ग्रह दोषों से मिलती है मुक्ति
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में बैठे ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहे हों तो विधि-विधानपूर्वक हवन करते रहने से जल्दी ही ग्रहों के शुभ प्रभाव मिलने लगते हैं। पीड़ा देने वाले ग्रह से संबंधित वार को संकल्प करके ग्यारह या इक्कीस व्रत रखकर उसके उपरांत होम करके पूर्णाहुति देने से रोग, शोक, कष्ट और बाधाओं का निवारण होता है।

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हवन के समय तांबे के पात्र के जल का आचमन करने से हमारी इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं तथा शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होने से तन-मन स्वस्थ्य रहता है।

Vaastu defects are resolved वास्तु दोषों का होता है निवारण
वास्तु में माना जाता है कि हवन-पूजन करने से सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवाह बढ़ जाता है, आसुरी शक्तियां दूर होती हैं। भवन निर्माण के समय रह गए वास्तु दोषों को दूर करने के लिए सबसे आसान और अच्छा तरीका हवन करना ही है। वास्तु सिद्धांतों के अनुसार भवन में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्वों का संतुलन वहां रहने वालों को सुखी और संपन्न बनाए रखने में मदद करता है, हवन सामग्री इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती है।

भवन में किसी तरह का कोई वास्तु दोष न रह जाए, इसलिए निर्माण से पूर्व शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन और शिलान्यास में मंत्रोपचार के साथ हवन का महत्व है। इसी प्रकार भवन का निर्माण पूरा होने के बाद शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश के समय भी वास्तु पूजन के साथ हवन किया जाता है जिससे कि भवन का आंतरिक और बाहरी वातावरण शुद्ध एवं पवित्र बना रह सके और उसमें रहने वाले सदस्य सभी प्रकार के रोग और पीड़ाओं से मुक्त रहकर सुख-शांति से जीवन जी सकें।

What is the difference between Yagya and Havan क्या है यज्ञ और हवन में अंतर
हवन, यज्ञ का छोटा रूप है। किसी भी पूजा व जाप आदि के बाद अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रक्रिया हवन के रूप में प्रचलित है। आप इसे अपने परिवार के साथ कर सकते हैं। हवन हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है।

दूसरी ओर यज्ञ एक अनुष्ठान होता है और वह किसी खास उद्देश्य से ही किया जाता है। इसमें देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक और दक्षिणा अनिवार्य होती है।

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