हिन्दू धर्म शास्त्रों से जानें, संदेश देवी-देवताओं के ‘वाहनों’ का

Edited By Updated: 08 Sep, 2021 11:18 AM

hindu gods and their vehicles

हिन्दू धर्म शास्त्रों में अनेक देवी-देवताओं के स्वरुप और चरित्र का वर्णन किया गया है। प्रत्येक देवी-देवता का उनके स्वरुप, आचरण और व्यवहार के अनुरूप ही उनका वाहन होता है। हर देवता अपने

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Devi devta aur unke vahan: हिन्दू धर्म शास्त्रों में अनेक देवी-देवताओं के स्वरुप और चरित्र का वर्णन किया गया है। प्रत्येक देवी-देवता का उनके स्वरुप, आचरण और व्यवहार के अनुरूप ही उनका वाहन होता है। हर देवता अपने वाहन के माध्यम से प्रकृति के एक विशिष्ट गुण का प्रतिनिधित्व करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इन वाहनों के रूप में बहुत ही अद्भुत रहस्य और सूक्ष्म प्रेरणाएं छिपी हुई हैं जिनको जानकर व्यक्ति प्रकृति द्वारा दिए गए मूक संदेशों को भली-भांति समझकर अपने जीवन में उतार सकता है। 

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बैल (नंदी) भगवान शिव का वाहन
शिव पुराण में शिवजी का वाहन वृषराज नंदी को बताया गया है। आम तौर पर खामोश रहने वाले बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला होता है। बल और शक्ति के प्रतीक बैल को मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी माना जाता है। यह सीधा-साधा प्राणी जब क्रोधित होता है तो शेर से भी भिड़ जाता है। शिव की सवारी बैल से जन-जन को यही प्रेरणा मिलती है कि शक्तिशाली होने पर भी शांत एवं सहज रहना चाहिए व परिश्रम द्वारा जीवन में सदैव धर्म के मार्ग पर चलते रहना चाहिए। 

मां दुर्गा करती हैं सिंह की सवारी
देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा की सवारी सिंह वन में संयुक्त परिवार में रहने वाला प्राणी है। यह वन का सबसे शक्तिशाली प्राणी होता है, परंतु अपनी शक्ति को व्यर्थ में खर्च नहीं करता। आवश्यकता पडऩे पर ही इसका उपयोग करता है। देवी का वाहन सिंह संदेश देता है कि घर के मुखिया को अपने परिवार को जोड़ कर रखना चाहिए तथा व्यर्थ के कार्यों में अपनी शक्ति को न लगा कर घर को सुखी बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

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गरुड़ पर सवार हैं भगवान विष्णु
गरुड़ ऐसा पक्षी है जो आकाश में बहुत ऊंचाई पर उड़ कर भी पृथ्वी के छोटे-छोटे जीवों पर नजर रख सकता है। गरुड़ सांपों का शत्रु होता है। इस कारण कहा जाता है कि यह विष को खत्म करने वाला अर्थात् आतंक को नष्ट करने वाला पक्षी है। ऐसे ही परम शक्तिशाली भगवान विष्णु सबका पालन करने वाले हैं। उनकी नजर प्रत्येक जीव पर होती है। 
विष्णु जी के वाहन से सदैव अपनी दृष्टि पैनी बनाए रखने एवं जागरूक बने रहने की प्रेरणा मिलती है। 

उल्लू है श्री लक्ष्मी जी का वाहन
उल्लू क्रियाशील प्रवृत्ति का पक्षी है। वह अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में निरंतर कार्य करता रहता है। इस कार्य को वह पूरी लगन के साथ करता है। लक्ष्मी के वाहन उल्लू से यही सीखने को मिलता है कि जो व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है, मां लक्ष्मी की उन पर सदैव कृपा होती है। वह हमेशा स्थायी रूप से मेहनती लोगों के घर में निवास करती हैं।

हंस है मां सरस्वती का वाहन
हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होने के साथ-साथ जीवनपर्यंत एक ही हंसनी के साथ रहता है। परिवार में प्रेम और एकता का यह उत्तम उदाहरण है। इसके अलावा हंस के सामने दूध और पानी मिलाकर रख दें तो वह केवल दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है। कहने का तात्पर्य यह कि हंस केवल गुण ग्रहण करता है, अवगुण छोड़ देता है। हंस मोती चुगकर सर्वश्रेष्ठ को ग्रहण करने का संदेश देता है। 

पिशाच पर है हनुमान जी का आसन
हनुमान जी प्रेत या पिशाच को अपना आसन बनाकर उन पर बैठते हैं और इन्हीं को अपने वाहन के रूप में प्रयोग करते हैं। 
पिशाच या प्रेत बुराई तथा दूसरों को भय एवं कष्ट देने वाले होते हैं। इसका अर्थ है कि हमें बुराई व दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। 

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रथ पर सवार भगवान सूर्य 
हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं जिन्हें शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है। 

मगर पर मां गंगा करती हैं सवारी
शास्त्रों में गंगा माता का वाहन मगरमच्छ होने का उल्लेख मिलता है। मां गंगा के वाहन से हमें यही संदेश मिलता है कि जलीय जीव-जंतुओं को मारना नहीं चाहिए क्योंकि जल में रहने वाले हर प्राणी की पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनको मारना यानी प्रकृति से छेड़छाड़ करना है जिसके परिणाम बहुत भयानक होते हैं।

इंद्र का वाहन सफेद हाथी
आजकल सफेद हाथी बहुत कम पाए जाते हैं। इंद्र ने अपना वाहन ऐरावत नामक एक हाथी को बनाया। समुद्र मंथन के दोरान 14 रत्नों में से एक ऐरावत की भी उत्पत्ति हुई थी। ऐरावत को चार दांतों वाला बताया गया है। ‘इरा’ का अर्थ जल है, अत: ‘इरावत’ (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को ऐरावत नाम दिया गया है। हाथी शांत, समझदार और तेज बुद्धि का प्रतीक है। 

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