Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Jul, 2025 12:04 PM

Hindu wedding rituals: जब भी हम विवाह की बात सुनते है तो हमारे मन में तुरंत एक छवि उभर कर सामने आ जाती है, जिस में दूल्हा दुल्हन मंडप में बैठे हों। हिंदू धर्म में विवाह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Hindu wedding rituals: जब भी हम विवाह की बात सुनते है तो हमारे मन में तुरंत एक छवि उभर कर सामने आ जाती है, जिस में दूल्हा दुल्हन मंडप में बैठे हों। हिंदू धर्म में विवाह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक विवाह संस्कार भी है। हल्दी, मेहंदी से लेकर विवाह तक सबके अपने महत्व है। विवाह में कुछ ऐसी चीज़े और रस्में होती है जिनके बिना एक विवाह अधूरा माना जाता है। उनमें से एक है फेरे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की विवाह के समय वर वधू अग्नि के चारों ओर फेरे क्यों लेते है। तो आइए जानते हैं आखिर इसके पीछे की वजह क्या है और क्या है इसका महत्व।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पति पत्नी के संबंध को सात जन्मों का साथ माना गया है। शास्त्रों के मुताबिक, पृथ्वी पर मौजूद हर महत्वपूर्ण चीजों की संख्या सात ही है जैसे- संगीत के सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, सात दिन, सात समुद्र, अग्नि के सात रंग और भगवान सूर्य के रथ में सात घोड़े ठीक वैसी ही विवाह में अग्नि के सामने सात वचन और सात फेरे लिए जाते हैं। अग्नि को वेदों में और शास्त्रों में प्रमुख रूप से देवता का स्थान प्राप्त है। ऐसा भी माना जाता है कि अग्नि में सभी देवताओं की आत्मा बसती है।
शास्त्रों में सात अंक को बहुत शुभ माना गया है। विवाह के समय जब वर वधु अग्नि के सामने सात फेरे और वचन लेते है तो ये माना जाता है कि वर वधू ने सभी देवताओं को साक्षी मान कर एक- दूसरे को अपना जीवनसाथी स्वीकार किया है और सभी वचनों को सारा जीवन निभाएंगे। ये भी माना जाता है कि सात फेरे लेने से पति पत्नी के रिश्ते को मजबूती मिलती है।
अग्नि को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है। अग्नि एक ऐसा तत्व है जो सभी अशुद्धियों को दूर कर देता है वैसे ही ये वर वधु की जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देता है साथ ही जीवन की सभी अशुद्धियों को समाप्त कर वर वधू के जीवन में शुद्धि का संचार करता है।

विवाह में लिए जाने वाले 7 फेरों का महत्व
विवाह के दौरान जो सात फेरे लिए जाते है उन में हर एक फेरे का एक अलग महत्व होता है। सबसे पहले फेरे में कर्तव्य की शपथ ली जाती है। जिसमें वर और वधु एक दूसरे के प्रति अपना हर एक कर्तव्य निभाने की कसम लेते है।
दूसरा फेरा होता है शक्ति का वादा यानी के हर मुश्किल परिस्थिति में दोनों एक दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। हर तुफान का सामना कर मजबूती से उभर कर साथ रहने की शपथ लेते हैं।
तीसरा फेरा है समृद्धि के लिए प्रतिबद्धता। इस में दोनो वर और वधू मां लक्ष्मी से धन और सुख का आशीर्वाद मांगते हैं और एक दूसरे को हर प्रकार का सहयोग और मदद करने का वचन लेते है।
बात करें चौथे वचन की तो ये वचन है प्रेम और सम्मान की प्रतिज्ञा जिसमें वर वधु एक दूसरे के प्रति एक दूसरे के परिवार के प्रति सम्मान बनाए रखने का वादा करते हैं।
पांचवा फेरा होता है संतान प्राप्ति के लिए जिसमें वे खुशहाल और स्वस्थ्य संतान के लिए प्रार्थना करते हैं।
छठां फेरा है स्वास्थ्य और शांति के लिए प्रार्थना। इस में दोनों लंबे, स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन की प्रार्थना करते हैं। जीवन में संतुलन बनाए रखना और एक दूसरे का ख्याल रखने का वादा करते हैं।
सातवां और आखिरी फेरा होता है दोस्ती और वफादारी का जिस में दोनों एक दूसरे के प्रति सदा वफादार रहने की कसम खाते हैं और एक-दूसरे के लिए अपने जीवन को समर्पित करते हैं। हालांकि आपको बता दें कि देश के अलग अलग जगहों पर कुछ अपनी-अपनी परंपराएं होती है इसलिए ये अलग भी हो सकती है।
