इस गांव में होलिका दहन करने पर जलने लगते हैं भगवान शिव के पांव, ये है कारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 04:37 PM

holika celebration is prohibited in village of saharanpur

इन्हीं में से एक सहारनपुर हारनपुर का एेसा गांव है, जहां पर होलिका दहन नहीं किया जाता। यहां तक की आसपास के गांवों में भी होलिका दहन नहीं किया जाता। इस गांव के लोक मान्यता अनुसार  होलिका दहन करने से उनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पैर जलते हैं, इसलिए यहां...

भारत में जहां पिछले कुछ दिनों होली का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया गया, वहीं कुछ एेसे भी जगहे हैं जहां होली का त्यौहार मनाने का रिवाज नहीं है। इसका कारण इससे संबंधित कुछ मान्यताएं है।  इन्हीं में से एक है सहारनपुर हारनपुर का एेसा गांव जहां पर होलिका दहन नहीं किया जाता। यहां तक की आसपास के गांवों में भी होलिका दहन नहीं किया जाता। इस गांव के लोक मान्यता अनुसार  होलिका दहन करने से उनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पैर जलते हैं, इसलिए यहां पर होलिका दहन नहीं किया जाता है। 

 
महाभारत काल से मौजूद है शिव मंदिर
भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर सहारनपुर के कस्बा तीतरों के पास स्थित गांव बरसी में है। स्थानीय निवासीयों के अनुसार बताया जाता है कि यह मंदिर महाभारत के समय का है। इसका निर्माण दुर्योधन ने करवाया था। परंतु भीम ने अपनी गदा से मंदिर के प्रवेश द्वारा को उत्तर से पश्चिम दिशा की ओर कर दिया था। महाशिवरात्रि पर यहां पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर गुड़ और कद्दू चढ़ाते हैं।

 

नहीं होता होलिका दहन
यहां बरसी गांव के साथ पास के ठोल्ला और बहलोलपुर के लोगों ने भी प्राचीन काल से होलिका दहन करना छोड़ रखा है। इन तीनों गांवों में होलिका दहन का पर्व नहीं मनाया जाता है। इसकी वजह गांव से जुड़े ऐतिहासिक शिव मंदिर से ग्रामीणों की आस्था मानी जाती है।


मान्यता
ग्रामीणों की मान्यता है कि जब होलिका दहन किया जाता है तो जमीन गर्म होती है, और अगर शिव मंदिर में विराजमान भगवान शंकर को जमीन पर पैर रखना पड़ा तो उनके पैर झुलस जाएंगे, जिससे भगवान शंकर को कष्ट होगा।


होलिका दहन पर फसल हो गई थी बर्बाद
गांव ठोल्ला के बुजुर्गों ने बताया कि गांव में एक बार होलिका दहन किया गया था, जिस कारण गांव के खेतों में खड़ी फसल जलकर नष्ट हो गई थी और ग्रामीणों को दाने-दाने का मोहताज होना पड़ा था। ग्रामीणों ने इसे शिव का क्रोध माना था और इसके बाद होली नहीं मनाई गई।


शादीशुदा बेटियां दूसरे गांव में करती है होली पूजन
मान्यता अनुसार यदि शादीशुदा बेटी होली पर गांव में आती हैं और उसे होली पूजन करना होता है तो वो पड़ोस के गांव टिकरौली में जाकर होलिका पूजन करती है। गांव के लोग मानते हैं कि गांव बरसी में कण-कण में भगवान शंकर का वास है। गांव बरसी में होलिका दहन न किया जाना यह दर्शाता है कि इस गांव के लोगों का भगवान शंकर के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास है।

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