भक्तों द्वारा दान में मिले तांबा-पीतल के दियों की होगी नीलामी

Edited By Jyoti,Updated: 28 May, 2020 06:31 PM

hundreds of tonnes of brass utensils and lamps donated to 1248 temple

महामारी की वजह से पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति कमज़ोर नज़र आ रही है।

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महामारी की वजह से पूरी दुनिया की आर्थिक स्थिति कमज़ोर नज़र आ रही है। ऐसे में देश के अमीर मंदिरों पर भी इसका साया मंडरा रहा है तो इस गंभीर स्थिति को मजबूत के लिए अब मंदिरों के अन्यूज्ड बर्तन यानि जो इस्तेमाल में नहीं लिए जाते और तांबे-पीतल को बेचने का फैसला लिया जा रहा है। इनकी मात्रा कई सौ टन में है आपको बता दें कि त्रावणकोर देवास्वम् बोर्ड केरल में 1248 मंदिरों के प्रबंधन का काम करता है। इसमें प्रसिद्ध सबरीमाला अयप्पा मंदिर, तिरुवनंतपुरम में पद्मनाभस्वामी मंदिर, हरिपद श्री सुब्रह्मण्य मंदिर, एट्टमनूर महादेवा मंदिर और अंबालापुजा श्री कृष्ण मंदिर शामिल हैं। 
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हालांकि, टीडीबी के इस फैसले से कई लोगों में निराशा और गुस्सा भी है। सोशल मीडिया पर लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि टीडीबी उन दीपकों और बर्तनों की नीलामी करने की योजना बना रहा है जो भक्तों द्वारा दान किए गए थे। टीडीबी अभी इसका हिसाब बना रहा है। इससे एक बड़ी राशि मिलने की उम्मीद है। केरल में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनमें धातु के दीपकों और बर्तनों की बड़ी मात्रा में दान आता है। जैसे सबरीमाला और गुरुवायूर मंदिर। इन एक-एक दीपक की कीमत 3000 से 5000 के बीच होती है। केरल के सभी 1248 मंदिरों में बड़ी मात्रा में ऐसे दीपक और अन्य बर्तन हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है।
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जानकारी के लिए बता दें कि ऐसे बर्तनों और दीपकों को संभालना और उनका ऑडिट करवाना ज्यादा मुश्किल काम है।  इस स्थिति को देखते हुए बोर्ड ने फैसला किया है कि इस तरह की सारी सामग्रियों की नीलामी कर दी जाएगी। इससे आने वाली राशि से काफी काम हो सकेंगे। कई प्रोजेक्ट्स पूरे हो सकेंगे। बोर्ड के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पहले भी ऐसा होता आया है।
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आपको बता दें कि केरल में मंदिरों में पीतल के बड़े-बड़े दीपक दान करने का रिवाज है।इसे नेयविल्लकु समरपनम् कहा जाता है। यहां मान्यता है कि घी के दीपक दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। यहां गुरुवायूर मंदिर में रोज लगभग 8000 से 9000 तक दीपक दान में आते हैं। उसी तरह, कई मंदिरों में पीतल के बर्तन जैसे उरुली (एक बड़ा खुला बर्तन) दिया जाता है। अन्य देवी मंदिरों में भी, भक्तों द्वारा पीतल के उरुलियां दिए जाते हैं।  इसी तरह से कई अन्य पीतल की चीजें जैसे थट्टू यानि प्लेट्स, देवताओं की छोटी मूर्तियां, बर्तन आदि। 

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त्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड देश के सबसे बड़े धार्मिक बोर्ड्स में से है। इसके अधिकार में 1248 मंदिर आते हैं।  कैग (CAG) और केरल हाईकोर्ट के लोकपाल की निगरानी में इसका सारा काम होता है। टीडीबी में लगभग 6500 कर्मचारी हैं, जिनमें ज्यादातर ज्यादातर पुजारी, सहायक पुजारी, मंदिर के कलाकार, कलाकार और अन्य मंदिर व्यवस्थापक कर्मचारी हैं। बता दें कि टीडीबी कर्मचारी सरकारी कर्मचारी की तरह ही होते हैं और इसलिए उन्हें सभी सरकारी लाभ मिलते हैं। 
 

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