Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Oct, 2025 06:00 AM

Inspirational Context: एक संपन्न राज्य के राजा के कोई संतान नहीं थी। वह वृद्ध होने लगा था, उसे अपने उत्तराधिकारी को लेकर चिंता सताने लगी। योग्य उत्तराधिकारी की खोज के लिए राजा को एक विचार आया।
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Inspirational Context: एक संपन्न राज्य के राजा के कोई संतान नहीं थी। वह वृद्ध होने लगा था, उसे अपने उत्तराधिकारी को लेकर चिंता सताने लगी। योग्य उत्तराधिकारी की खोज के लिए राजा को एक विचार आया।
राजा ने अगले ही दिन पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि जो व्यक्ति आज शाम को मुझसे आकर मिलेगा, उसे राज्य का एक हिस्सा दिया जाएगा। राजा के इस निर्णय पर मंत्रियों ने कहा कि महाराज ऐसे तो कई लोग आपसे मिलने आ जाएंगे और यदि आपने सभी को उनका भाग दे दिया तो पूरे राज्य के टुकड़े हो जाएंगे। यह सुनकर राजा ने कहा कि आप लोग बस देखते रहें कि क्या हो रहा है।

शाम को राजमहल के सुंदर बगीचे में मेले-सा आयोजन हुआ। कहीं गीत-संगीत की महफिल सजी थी तो कहीं खाने-पीने का सामान था। कई खेल भी यहां हो रहे थे। राजा से मिलने के लिए लोगों की भारी भीड़ आई थी, लेकिन कितने ही लोग नाच-गाने में अटक गए तो कितने ही खाने-पीने में व्यस्त हो गए। कई लोग खेलों में ही खो गए। समय बीतने लगा, इस बीच एक व्यक्ति ऐसा भी था, जिसने मेले की किसी भी चीज की ओर देखा तक नहीं था। वह मन में सिर्फ राजा से मिलने की ही बात ठानकर आया था।

वह बगीचा पार कर राजमहल के दरवाजे पर पहुंच गया। पहरेदारों ने उसे रोका लेकिन वह उन्हें धक्का देकर सीधे राजमहल में आ गया। जैसे ही वह अंदर पहुंचा तो राजा ही उसके सामने आ गया। राजा ने कहा कि कोई तो ऐसा मिला जो किसी भी प्रलोभन में फंसे बिना अपने लक्ष्य तक पहुंच सका। तुम ही मेरे उत्तराधिकारी बनोगे।
निष्कर्षः सफलता उसी को मिलती है जिसका लक्ष्य तय होता है और अपने लक्ष्य पर जो अडिग रहता है।
