Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Oct, 2025 07:00 AM

Inspirational Story: एक बालक अपनी बहन अलिसा के साथ घूमने निकला। रास्ते में एक किसान की लड़की मिली। वह सिर पर अमरूदों से भरा टोकरा रखे हुए उन्हें बेचने बाजार जा रही थी।
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Inspirational Story: एक बालक अपनी बहन अलिसा के साथ घूमने निकला। रास्ते में एक किसान की लड़की मिली। वह सिर पर अमरूदों से भरा टोकरा रखे हुए उन्हें बेचने बाजार जा रही थी।
अलिसा ने भूल से टक्कर मार दी, जिससे सारे अमरूद गिरकर गंदे हो गए। ‘‘अब मेरे माता-पिता को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ेगा।’’ कहकर वह लड़की रोने लगी। अलिसा ने अपने भाई को वहां से भाग जाने की सलाह दी और कहा, ‘‘अभी तो यहां कोई देखता भी नहीं।’’

‘बहन, अगर हम मान लेते हैं कि यहां कोई नहीं देख रहा है, इसलिए सजा नहीं मिलेगी तो यह गलत है। किसी व्यक्ति के अंदर बैठी हुई आत्मा ही मर गई तो फिर ईश्वर भले ही दंड न दे, वह आप ही मर जाता है।’
इतना कहकर उस बालक ने अपनी जेब में रखे तीन आने उस लड़की को दिए और उससे कहा, ‘‘बहन, तू हमारे साथ चल। हमने गलती की है तो उसकी सजा भी हमें स्वीकार करनी चाहिए, तुम्हारे फलों का मूल्य घर चलकर चुका दूंगा।’’ तीनों घर पहुंचे, बालक ने सारी बात मां को बताई। मां को गुस्सा आ गया।
वह बोली, ‘तुम लोग नाहक घूमने क्यों निकले? घर खर्च के लिए पैसे नहीं, अब यह दंड कौन भुगते ?’

उस लड़के ने कहा, ‘‘मां, मेरी जेब खर्च के पैसे इस लड़की को दे दो। मेरा विद्यालय का नाश्ता बंद रहेगा, मुझे उसमें रत्ती भर भी आपत्ति नहीं। गलती के लिए प्रायश्चित भी तो मुझे ही करना चाहिए।’’
मां ने उसके डेढ़ महीने के जेब खर्च के पैसे उस लड़की को दे दिए। लड़की प्रसन्न होकर घर चली गई। डेढ़ महीने तक विद्यालय में उस लड़के को कुछ भी नाश्ता नहीं मिला, वह जरा भी दुखी नहीं हुआ।
अपनी मानसिक त्रुटियों पर इतनी गंभीरता से विजय पाने वाला यही बालक आगे चलकर विश्व विजेता नेपोलियन बोनापार्ट के नाम से विश्वविख्यात हुआ।
