शिवलिंग की परिक्रमा करते समय रखें ध्यान, आपकी शक्तियां भी हो सकती हैं लुप्त

Edited By Updated: 17 Jul, 2017 08:04 AM

keep meditating while revolving shivaling

सावन माह में भोलेनाथ भंडारी की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है। उनके भक्त उन्हें नटराज, डमरूवाला, त्रिपुरारी, बर्फानी बाबा अमरनाथ, त्रयम्बकेश्वर, नीलकंठ

सावन माह में भोलेनाथ भंडारी की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है। उनके भक्त उन्हें नटराज, डमरूवाला, त्रिपुरारी, बर्फानी बाबा अमरनाथ, त्रयम्बकेश्वर, नीलकंठ महादेव, मृत्युंजय, विश्वनाथ, केदार बाबा, आशुतोष महादेव और संसार से दूर एक फक्कड़ भोले बाबा के रूप में पुकारते हैं। संसार में जो कुछ है, जो कुछ था और जो कुछ होना है उसके संधि सूत्र शिव ही हैं। अनादि-परमेश्वर भोले बाबा शिव सभी देवों में प्रमुख हैं। शिव का नाम ही कल्याणकारी है। भगवान शिव की प्रदक्षिणा के लिए शास्त्रों का आदेश है कि शिवलिंग की अर्ध-परिक्रमा ही करनी चाहिए।  


‘‘पुष्प दत्त ने भगवान भोले नाथ भंडारी को प्रसन्न कर अदृश्य होने की शक्ति प्राप्त की हुई थी। वह पुष्प तोड़ते हुई भी अदृश्य रहता था इसीलिए किसी को दिखाई नहीं देता था।’’


इस संदर्भ में एक कथा है- पुष्प दत्त नामक गन्धर्वों का एक राजा था। वह भोले नाथ भंडारी का अनन्य भक्त था। भगवान भोले नाथ भंडारी की पूजा के लिए उत्तम सुगंध वाले पुष्प लाने के लिए राजा किसी अन्य राजा की पुष्प वाटिका में जाया करता था और वहां से प्रतिदिन सुंदर-सुंदर फूल चुरा लाता था। 


प्रतिदिन फूलों की चोरी होती देख माली काफी परेशान रहता। उसे बगीची में किसी को आते-जाते न देख कर हैरानी होती। उसने इस संबंध में राजा से बातचीत की तथा फूलों की हो रही प्रतिदिन चोरी को रोकने के लिए एक गुप्तचर की व्यवस्था की जो निगरानी रखेगा कि कौन बगीची से अच्छे-अच्छे फूल चोरी करता है परंतु गुप्तचर नियुक्त करने के बाद भी चोरी ऐसे ही होती रही। 


एक बार जब गन्धर्वराज भगवान शिव भोले नाथ की पूजा-अर्चना कर रहा था तो वह भूलवश शिवलिंग की निर्मली (जल प्रवाहिका) को लांघ गया जिसके फलस्वरूप उसके अदृश्य होने की शक्ति समाप्त हो गई जिसका उसे पता नहीं चला। जब वह दूसरे दिन पुष्प वाटिका में पुष्प लेने गया तो उसे पुष्प तोड़ते माली के रखे हुए गुप्तचर ने पकड़ लिया। उसने अदृश्य होने का प्रयास किया जिसमें वह सफल न हो सका। किसी तरह वह वहां से छूट गया। अगली सुबह पूजा में भगवान मृत्युजंय भोले नाथ भंडारी ने उसकी अदृश्य होने की शक्ति लुप्त हो जाने का रहस्य बतलाया।


सो मुख्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों में निर्मली (जहां से शिवलिंग पर जल चढ़ कर जलहरी से नीचे बहता है) के जल वही गड्डा बनाकर एकत्र कर लेते हैं। वहां से निकाल कहीं जमीन में गड्डा बनाकर उसमें जाने देते हैं। यदि निर्मली ढंकी हो और गुप्त रूप से बनी हो तो पूरी परिक्रमा करने पर भी दोष नहीं लगता। आप शिव मंदिर की चारों ओर परिक्रमा कर सकते हैं लेकिन शिवलिंग की निर्मली न लांघने के कारण अर्ध-परिक्रमा दी जाती है। जिन शिवालयों में निर्मली की समुचित व्यवस्था नहीं होती, जल साधारण खुली नालियों की तरह बहता है उसे कदापि नहीं लांघना चाहिए, दोष लगता है।
 

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