Edited By Jyoti,Updated: 03 May, 2019 04:15 PM
हिंदू धर्म में ऐसी कई परंपराएं हैं जो आज के समय में भी अपनाई जाती हैं। इसमें एक से है चरण स्पर्श की। बचपन से हम देखते आ रहे हैं कि हमार बड़े अपने बड़ों का सम्मान करने के लिए उनके चरण स्पर्श करके उन्हें प्रणाण करते हैं।
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हिंदू धर्म में ऐसी कई परंपराएं हैं जो आज के समय में भी अपनाई जाती हैं। इसमें एक से है चरण स्पर्श की। बचपन से हम देखते आ रहे हैं कि हमार बड़े अपने बड़ों का सम्मान करने के लिए उनके चरण स्पर्श करके उन्हें प्रणाण करते हैं। यही सीख वो हमे देते हैं कि हमेशा अपने से बड़ों के सम्मान में हाथ ज़ोड़कर प्रणाम के साथ-साथ उनके चरण स्पर्श करना चाहिए। आज हम आपको इसी परंपरा से जुड़ी 4 खास बातें बताने जा रहे हैं, जिनसे शायग आप में से लगभग लोग अंजान ही होंगे।
कहा जाता है कि हमेशा अपने से वरिष्ठजनों के चरण स्पर्श करने से मन अंदर नम्रता, दूसरों के लिए आदर और विनय का भाव जागृत होता है। साथ ही सामने वाले व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह उसके आशीर्वाद के रूप में आपके भीतर प्रवाह होता है।
सनातन धर्म में इसके महत्व का एक कारण ये है कि स्वयं भगवान कृष्ण ने न केवल अपने मित्र सुदामा के चरण स्पर्श किए बल्कि उन्हें धोया भी था। मान्यता है कि सुख और सौभाग्य की कामना लिए नवरात्रि पर कन्याओं के भी इसी तरह पैर धोकर पूजते हैं।
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माता-पिता और बड़े लोगों का पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेने से सारे काम बिना किसी विघ्न के संपन्न होते हैं। साथ ही उनसे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
आमतौर पर हम तीन तरीकों से किसी व्यक्ति का पैर छूते हैं। झुककर, घुटने के बल बैठकर और साष्टांग प्रणाम करते हुए। इसके बारे में कहा गया है कि इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए ध्यान रहे कि सिर दोनों हाथों के बीच में रखते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर किसी भी संत या वरिष्ठ व्यक्ति के चरण स्पर्श करें। इसके साथ ही पैर छूते समय उस व्यक्ति के प्रति पूरा आदर और सम्मान की भावना रखें।