Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Jun, 2025 07:00 AM
हम सब जब भी भगवान की पूजा करते है या किसी मंदिर में जाते है तो अक्सर देखते हैं की भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद भोग लगाया जाता है। भोग जिसे प्रसाद भी कहा जाता है, प्रतिदिन भगवान को अर्पित किया जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हम सब जब भी भगवान की पूजा करते है या किसी मंदिर में जाते है तो अक्सर देखते हैं की भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद भोग लगाया जाता है। भोग जिसे प्रसाद भी कहा जाता है, प्रतिदिन भगवान को अर्पित किया जाता है। बहुत से लोग भगवान को सुबह शाम भोग लगाते हैं और कई घरो में तो लोग अपने घरों में ही बनने वाले खाने का भोग लगाते है, फिर उसी भोग को स्वयं प्रसाद के रुप में ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि पूजा के बाद लगाए गए भोग को भगवान सूक्ष्म रुप में ग्रहण करते हैं। ज्यादातर देवी-देवताओं को भोग में फल, मिठाई, पकवान और पंचामृत आदि अर्पित किया जाता है लेकिन कई बार लोग भगवान को भोग लगाते समय अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते है जिसकी वजह से उन्हे पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता। ऐसे में भगवान को भोग कैसे अर्पित करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ज्योतिष शास्त्र में इसके बारे में बताया गया है। तो दोस्तों, आज की इस वीडियो में हम आपको इसी के बारे में देने वाले है जानकारी तो वीडियो को आखिर तक ज़रूर देखे।

धर्म ग्रंथों की माने तो हर एक देवी-देवता का अपना एक अलग और प्रिय भोग होता है और कई बार जो चीज़े हम एक भगवान को अर्पित करते है वे अन्य भगवान को अर्पित करना या तो वर्जित होता है या शुभ नहीं माना जाता। जैसे भगवान विष्णु के भोग में तुलसी का होना अनिवार्य माना जाता है तो वहीं भगवान गणेश और भगवान शिव को भोग में तुलसी अर्पित करना वर्जित है। जहां एक और शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है तो दूसरी और भगवान को ताज़े खाने का भोग ही लगाया जाता है। ऐसे में संभव हो तो प्रत्येक देवी देवता को उनकी पसंद के हिसाब से ही भोग लगाए। माना जाता है कि इस से भगवान जल्दी प्रसन्न होते है।
आगे बता दें कि भगवान को हमेशा सात्विक वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। ऐसे में भगवान के लिए तैयार किए भोग में कभी भी प्याज, लहसुन का उपयोग न करें। ऐसे खाने को राजसिक भोजन कहा जाता है। साथ ही बता दें कि भोग में कभी भी तामसिक चीज़ो का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। ऐसी चीज़ो के इस्तेमाल से भोग अशुद्ध हो जाता है और भगवान नाराज होते हैं।
शास्त्रों की मानें तो कहा जाता है कि भगवान के लिए भोग हमेशा ताज़े घी में ही बनाना चाहिए। देखा जाता है कई लोग भगवान के लिए भोग बनाने के लिए तेल का इस्तेमाल करते है। जबकि शास्त्रों में हमेशा घी और घी से बनी चीज़ो का भोग लगाने के लिए कहा गया है। इसी के साथ बता दें ध्यान रखें की भोग में मिर्च और मसालों का भी उपयोग न करें।
इसके अलावा ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि लोग भगवान को भोग अर्पित करते तो हैं लेकिन साथ ही भोग की चीज़ो को वहां से हटा लेते है। भोग लगाने का ये तरीका गलत है। जब भी भगवान की पूजा करे तभी वहां भोग रख दें और फिर पूजा अर्चना करने के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और मंदिर के पर्दे कर खुद वहां से 5 से 10 मिनट के लिए हट जाए। फिर बाद में वापिस आकर भगवान के सामने प्रार्थना करते हुए भोग को हटा लें और फिर सभी में बांट कर खुद ग्रहण करें। इसी के साथ बता दें कि भोग को कभी भी मंदिर में लंबे समय तक न छोड़ें।