महादेव के तीसरे नेत्र से जुड़ा ये दिलचस्प रहस्य जानकर दंग रह जाएंगे आप

Edited By Jyoti,Updated: 25 Mar, 2019 12:21 PM

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हिंदू धर्म में केवल भगवान शंकर ऐसे एकमात्र देव माने जाते हैं जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। कहते हैं यही कारण है कि इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है।

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हिंदू धर्म में केवल भगवान शंकर ऐसे एकमात्र देव माने जाते हैं जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। कहते हैं यही कारण है कि इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। पंरतु आपको बता दें कि भगवान शंकर जैसे जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तो वहीं इनका क्रोध भी उतना ही प्रभावी होता है। कहते हैं अगर इन्हें किसी पर क्रोध आ जाए तो वो जल्दी शांत नहीं होता। आप सब ने देखा होगा कि भगवान शंकर का स्वरूप बाकी के सभी देवताओं से विभिन्न है। सबसे भिन्न हैं शिव जी की तीसरी आंख। बता दें कि सभी देवी देवताओं में सिर्फ भोलेनाथ के ही तीसरी आंख नज़र आती है। शास्त्रों में इस बात  का वर्णन मिलता है कि हर जीव की तीसरी आंख होती है। परंतु आप में से ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने इसके बारे में यानि शिव जी की तीसरी आंख के बारे जानने कोशिश की होगी। तो अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो चलिए हम आपको इससे जुड़ी कुछ ऐसी बाते बताते हैं जिन्हें जानने के बाद आप दंग रह जाएगा। आइए जानते हैं महादेव की तीसरी आंख का रहस्य-
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मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ को त्रिलोचन नाम से भी जाना जाता है।बता दें कि इसका अर्थ होता है तीन आंखों वाले। शास्त्रों के अनुसार महादेव की दो नेत्रों में से एक में चंद्रमा और दूसरी में सूर्य हैं जबकि उनकी तीसरी आंख को विवेक कहा गया है।

कहते हैं कि देवों के देव महादेव अकेले ऐसे देव हैं है जिनकी आंखों से सच्चाई कभी छिप नहीं सकती। जिस वजह से इन्हें महादेव को परम ब्रह्म भी कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार महादेव की यह तीसरी आंख ज्ञान चक्षु है, उसको विवेक यानि बुद्धि का प्रतीक कहा जाता है।
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लगभग लोगों को पता है कि महादेव अपनी तीसरी आंख हमेशा बंद रखते हैं। इनकी तीसरी आंख केवल खुलती हैं जब इन्हें अत्यंत क्रोध आता है। ऐसे भी कहा जा सकता है कि जब इनका विवेक विचलित होता है तो इनकी तीसरा नेत्र खुलता है जिस कारण प्रलय आता है।

कुछ शास्त्रों के मुताबिक तीसरी आंख हर मनुष्य को प्राप्त होती है जो अतः प्रेरणा के समान व्यक्ति के भोतर होती है। परंतु इसे जागृत करने के लिए कठोर साधना और ज्ञान की आवश्यकता होती है।
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वास्तव में देखा जाए तो यह तीसरा नेत्र काम वासना, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को नियंत्रित रखती है और आत्मा को जन्म मरण से मुक्ति दिलाती है।

ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि अगर सांसारिक दृष्टि से देखा जाए तो तीसरी आंख जीवन में किए जाने वाले सही और गलत काम की और वाली परेशानियां व कठिनाइयों की जानकारी भी। देती है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार महादेव के तीनों नेत्रों में त्रिलोक बसा हुआ है, इसलिए इन्हें त्रिलोक का स्वामी भी कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कॉ यह तीनों नेत्र त्रिकाल का प्रतीक माने जाते हैं जो है भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल।
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हम आशा करते हैं कि हमारे इस आर्टिकल के जरिए आप महादेव की तीसरी आंख से जुड़े तथ्यों से बहुत कुछ जान पाए होंगे। तो अगर आप भी अपने भीतर की तीसरी आंख को जागृत करना चाहते हैं तो इसके लिए कठोर तपस्या करें और मन के तीसरे नेत्र को पहचानिए।
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