गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर: चेतना की सभी विद्याओं का स्रोत हैं मां सरस्वती

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Feb, 2024 11:11 AM

maa saraswati vandana

सरस्वती कोई व्यक्ति नहीं है। चेतना का वह तत्व है, जो कभी नीरस नहीं होता बल्कि जीवन के उत्साह और सार से परिपूर्ण होता है, वह सरस्वती है। देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत और ध्यान का अवतार हैं। विद्या की देवी सरस्वती का स्वरूप एवं संकल्पना विश्व में अद्वितीय...

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Maa saraswati vandana: सरस्वती कोई व्यक्ति नहीं है। चेतना का वह तत्व है, जो कभी नीरस नहीं होता बल्कि जीवन के उत्साह और सार से परिपूर्ण होता है, वह सरस्वती है। देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत और ध्यान का अवतार हैं। विद्या की देवी सरस्वती का स्वरूप एवं संकल्पना विश्व में अद्वितीय है। 

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यदि हम देवी सरस्वती के प्रतीकात्मक स्वरुप को देखें तो उनके एक हाथ में वीणा है और दूसरे हाथ में पुस्तक है। पुस्तक बाएं मस्तिष्क की गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती है और वीणा जो संगीत संकाय का प्रतिनिधित्व करती है। वह रचनात्मक पक्ष को दर्शाती है और दाएं मस्तिष्क को सक्रिय करती है। उनके हाथ में जप माला है, जो जीवन के ध्यान संबंधी पक्ष को दर्शाती है। शिक्षा गान (संगीत), ज्ञान (बौद्धिक ज्ञान), और ध्यान (ध्यान) इन तीनों तत्वों से ही परिपूर्ण हो सकती है। केवल जब कोई इन तीनों में पारंगत हो, तभी आप किसी को शिक्षित या सभ्य कह सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बच्चे संगीत और योग सीखें और हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनमें वैज्ञानिक सोच भी हो। जैसे-जैसे वे बड़े हों, उनमें जिज्ञासु मन और वैज्ञानिक सोच बनाए रखने के लिए प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।

मां सरस्वती का वाहन हंस दर्शाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यदि हंस के सामने दूध और पानी का मिश्रण रखा जाए तो वह पानी और दूध को अलग कर देगा। यह विवेक की शक्ति का प्रतीक है, जिसका उपयोग करके हम जीवन के अनुभवों से सकारात्मक शिक्षा लेते हैं और नकारात्मकता को पीछे छोड़ देते हैं। आप देखेंगे कि देवी सरस्वती के साथ मोर भी है। मोर हर समय नृत्य नहीं करता बल्कि बारिश से ठीक पहले नृत्य करता है और अपने शानदार रंग प्रदर्शित करता है। यह सही ज्ञान को सही स्थान और सही समय पर व्यक्त करने की क्षमता को दर्शाता है।

देवी सरस्वती वह चेतना हैं जो विभिन्न प्रकार की विद्याओं से स्पंदित होती हैं। वे आध्यात्मिक प्रकाश का स्रोत हैं तथा सभी अज्ञानता को दूर करने वाली है। देवी सरस्वती सभी ज्ञान का स्रोत हैं।

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वे वीणा वादन करती हैं। वीणा मानव शरीर का प्रतिनिधित्व करती है। जिस प्रकार वीणा में 7 तार होते हैं, उसी प्रकार हम भी पूरे शरीर में पाई जाने वाली सात धातुओं से बने हैं। यदि वीणा को ठीक से सुर दिया जाए तो उससे बजने वाला संगीत कानों को मधुर लगता है और जब जीवन को अच्छे से सुर में बांधा जाए तो दिव्यता और आनंद प्राप्त होता है।

देवी सरस्वती की मूर्ति हमें कई शिक्षण संस्थानों में दिखती है। ज्ञान की देवी, सीखने और शिक्षा की समग्रता का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी को एक चट्टान पर बैठे हुए दिखाया गया है जो स्थिर है। ज्ञान आपको चट्टान की तरह दृढ़ता और स्थिरता प्रदान करता है। 

आध्यात्मिकता सर्व-समावेशी है और जो कुछ भी आत्मा के विकास में सहायता करता है वही आध्यात्मिकता है। बौद्धिक ज्ञान, संगीत, कला, संस्कृति, नृत्य और ध्यान सभी आध्यात्मिकता का अंश हैं। ये सभी देवी सरस्वती के अवतार का अंश हैं। यदि इनमें से किसी एक भी घटक की कमी हो तो शिक्षा पूर्ण नहीं मानी जा सकती।

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