Mahatara Jayanti 2025: महातारा जयंती आज, इस मुहूर्त में पूजा करने से मिलेगा सुखी जीवन का आशीर्वाद

Edited By Updated: 05 Apr, 2025 02:01 PM

mahatara jayanti 2025

महातारा जयंती सनातन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है और यह सभी हिंदुओं के लिए एक प्रमुख पर्व है। आज 6 अप्रैल को यह पाव मनाया जा रहा है

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Mahatara Jayanti 2025: महातारा जयंती सनातन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है और यह सभी हिंदुओं के लिए एक प्रमुख पर्व है। आज 6 अप्रैल को यह पाव मनाया जा रहा है। महातारा जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। जब किसी भक्त के जीवन में कठिनाइयां आती हैं तो मां तारा अपनी उपस्थिति से उन समस्याओं और पापों को समाप्त करती हैं और भक्तों को अपनी कृपा का अनुभव कराती हैं। प्राचीन समय में जब पृथ्वी की सृष्टि भी नहीं हुई थी, तब केवल अंधकार था और कोई ऊर्जा मौजूद नहीं थी। इस अंधकार की देवी माँ काली थीं। लेकिन इस अंधकार से एक प्रकाश की किरण प्रकट हुई, जिसे तारा के नाम से जाना गया। तारा देवी को ऋषि अक्षोभ्य की शक्ति माना जाता है। वह ब्रह्मांड के हर पिंड की स्वामिनी हैं और उनका प्रकट होना पृथ्वी की सृष्टि के समय हुआ  इसलिए उन्हें देवी महातारा के रूप में पूजा जाता है।

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Mahatara Jayanti Shubh Muhurat महातारा जयंती शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज 6 अप्रैल नवमी तिथि के दिन महातारा जयंती मनाई जा रही है। महातारा जयंती के साथ  रामनवमी का पर्व मनाया जा रहा है। इसके अलावा आज के दिन बहुत से शुभ योग का निर्माण बनने जा रहा है। सबसे पहले  सुकर्मा योग,  रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण होगा। इस योग में पूजा करने से आपके जीवन के दुःख-संताप खत्म हो जाएंगे। 

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 4 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 20 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 46 मिनट तक

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Method of worship of Mahatara Jayanti महातारा जयंती की पूजा विधि:

पूजा के प्रारंभ में स्नान करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है, ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध हो सकें। स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें।

पूजा स्थल पर दीपक लगाएं और अगरबत्तियां जलाएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी का आशीर्वाद मिलता है।

तारा देवी का मंत्र  ॐ तारायै च विद्महे महोग्रायै च धीमहि, तन्नो तारा प्रचोदयात्  का जाप करें। यह मंत्र तंत्र विद्या में शक्तिशाली माना जाता है। इसके जाप से मानसिक बल और तंत्र साधना में सफलता मिलती है।

महातारा देवी की पूजा में नवग्रह पूजा भी की जाती है, जिसमें खासकर ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर करने के उपाय किए जाते हैं। यह पूजा विशेष रूप से बुध और शुक्र ग्रह को संतुलित करने के लिए की जाती है क्योंकि तारा देवी का संबंध इन ग्रहों से भी होता है।

देवी तारा को लाल रंग के फूलों, विशेषकर गुलाब और चंपा के फूलों का चढ़ावा अर्पित करें। साथ ही साथ देवी को मीठा पकवान और फल अर्पित करें। इससे देवी तारा की कृपा प्राप्त होती है।

तंत्र विद्या में रुचि रखने वाले साधक महातारा जयंती के दिन विशेष तंत्र मंत्रों का जाप और साधना करते हैं। यह दिन विशेष रूप से सिद्धियां प्राप्त करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

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