Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2025 06:45 AM

एक नदी के किनारे कुछ बच्चे खेलते हुए रेत के घर बना रहे थे। किसी का पैर किसी के घर को लग जाता और वह बिखर जाता, इस बात पर झगड़ा हो जाता। थोड़ी-बहुत बचकानी
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Mahatma buddha story: एक नदी के किनारे कुछ बच्चे खेलते हुए रेत के घर बना रहे थे। किसी का पैर किसी के घर को लग जाता और वह बिखर जाता, इस बात पर झगड़ा हो जाता। थोड़ी-बहुत बचकानी उम्र वाली मारपीट भी हो जाती। फिर वह बदले की भावना से सामने वाले के घर के ऊपर बैठ जाता और उसे मिटा देता और दोबारा से अपना घर बनाने में तल्लील हो जाया करते। यही बच्चों का काम था। महात्मा बुद्ध चुपचाप एक ओर खड़े यह सारा तमाशा अपने शिष्यों के साथ देख रहे थे। बच्चे अपने आप में ही मशगूल थे तो किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया।
इतने में एक महिला ने आकर बच्चों से कहा, “सांझ हो गई है तुम सब की माताएं तुम्हारा रास्ता देख रही हैं।”
बच्चों ने चौंकते हुए देखा दिन बीत गया है, सांझ हो गई है और अंधेरा होने को है। इसके बाद वे अपने ही बनाए घरों पर उछले-कूदे। सब मटियामेट कर दिया और किसी ने नहीं देखा कौन किसका घर तोड़ रहा है।
सब बच्चे भागते हुए अपने घरों की ओर चल दिए। महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा, “तुम मानव जीवन की कल्पना बच्चों के इस खेल से कर सकते हो क्योंकि तुम्हारे बनाए शहर, राजधानियां सब ऐसे ही रह जाती हैं और तुम्हें एक दिन यह सब छोड़कर जाना ही होता है।

तुम यहां जिंदगी की भाग-दौड़ में सब भूल जाते हो और खुद से कभी मिल नहीं पाते, जबकि जाना तो सबका तय ही है इसलिए कभी भी अधिक लम्बा सोच कर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। वर्तमान में जीना चाहिए।
