Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jun, 2023 09:22 AM
महात्मा गांधी दैनिक डाक देखते समय प्रत्येक पत्र को ध्यान से पढ़ने के बाद पत्र के कोरे भाग को कैंची से काट कर अलग रख रहे थे। एक सज्जन बहुत देर से गांधी जी की यह क्रिया ध्यान से
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महात्मा गांधी दैनिक डाक देखते समय प्रत्येक पत्र को ध्यान से पढ़ने के बाद पत्र के कोरे भाग को कैंची से काट कर अलग रख रहे थे। एक सज्जन बहुत देर से गांधी जी की यह क्रिया ध्यान से देख रहे थे। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए गांधी जी से पूछा, ‘‘आप पत्रों की इन कतरनों को एकत्रित कर रहे हैं, इनका क्या उपयोग है?’’
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गांधी जी ने जवाब दिया, ‘‘मैं पत्रों के उत्तर देने के लिए कागज की इन्हीं कतरनों का उपयोग करता हूं। इन कोरे हिस्सों का उपयोग होगा, तो ये कागज बेकार हो जाएंगे।
यदि मैं नए कागज का प्रयोग करूंगा तो इससे एक तो अनावश्यक खर्च में वृद्धि हो जाएगी और दूसरे राष्ट्रीय सम्पत्ति नष्ट होगी। किसी देश में जितनी वस्तुएं होती हैं, वह सब उस देश की सम्पत्ति मानी जानी चाहिए। हमारा देश निर्धन है, ऐसी स्थिति में हमें धन का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
’’ वह सज्जन सोच रहे थे महापुरुष की सोच व्यक्तिपरक नहीं बल्कि देशपरक होती है।