जब विष्णु जी ने नहीं बुलाया गजानन को अपने विवाह में, पढ़े दिलचस्प कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Jan, 2023 06:52 AM

marriage story of lord vishnu and goddess lakshmi

पौराणिक कथाओं के अनुसार विष्णु जी का विवाह माता लक्ष्मी के साथ तय हो गया। चारों तरफ विवाह की तैयारी शुरू हो गई। सारे देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजे गए लेकिन सिर्फ एक ही देव रह गए,

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Marriage Story of Lord Vishnu and Goddess Lakshmi: पौराणिक कथाओं के अनुसार विष्णु जी का विवाह माता लक्ष्मी के साथ तय हो गया। चारों तरफ विवाह की तैयारी शुरू हो गई। सारे देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजे गए लेकिन सिर्फ एक ही देव रह गए, जिन्हें विष्णु जी ने नहीं बुलाया वह थे श्री गणेश।

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बारात का समय आया। सारे देवी-देवता अपने परिवार के साथ विवाह में उपस्थित हुए। गणेश जी को वहां न पाकर सभी आपस में खुसर-फुसर करने लगे। सब एक-दूसरे से पूछने लगे," गणेश जी खुद नहीं आए या उन्हें बुलाया नहीं गया। वे सब मिलकर विष्णु जी के पास इसका कारण पूछने चले गए।"

भगवान विष्णु से पूछने पर उन्होंने कहा," मैंने उनके पिता महादेव को निमंत्रण दे दिया है। अगर उन्हें आना होगा तो अपने पिता के साथ आ जाएंगे।"

दूसरा कारण उन्होंने बताया," गणेश जी को खाने में सवा मन चावल, सवा मन घी, सवा मन लड्डू दिन भर में चाहिए। दूसरों के घर इतना खाना अच्छी बात नहीं है।"

इसी बीच किसी ने भगवान विष्णु को सुझाव दिया कि यदि गणेश जी आ भी जाएं तो कोई दिक्कत नहीं हैं। उन्हें द्वारपाल बना कर कर द्वार पर बैठा देना। इससे घर की रखवाली भी होती रहेगी। इस सुझाव को विष्णु जी ने मान लिया और गणेश जी को बुलाया गया।

सभी देवताओं ने समझा-बुझाकर गजानन को द्वार के पास बैठा दिया। बारात चली गयी और नारद जी ने देखा गणेश जी द्वार पर ही बैठे हुए हैं। उन्होंने गणेश जी से इसका कारण पूछा तो गणेश जी कहने लगे,'' विष्णु जी ने मुझे विवाह में न बुलाकर मेरा बहुत अपमान किया है। ''

नारद जी ने उन्हें सलाह दी,'' आप अपनी मूषक सेना को बुलवा कर उनकी बारात के आगे गड्डे खुदवा दीजिए। तभी उनको आपकी मदद की जरूरत पड़ेगी और वह आपको सम्मानपूर्वक बुलाएंगे।''

गणेश जी के मूषकों ने बारात से पहले पहुंच कर उधर गड्ढा खोद दिया। इसके कारण सारे देवी-देवताओं के रथ उस गड्ढे में फंस गए। कईं रथों के तो पहिए भी टूट-फूट गए।

तब नारद जी ने सबको कहा,'' आप सभी ने गणेश जी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मना लिया जाए तो सब संकट दूर हो जाएंगे।''

सारे देवी-देवताओं ने मिलकर गणेश जी से क्षमा-याचना की। तब गजानन ने अपनी कृपा से सब ठीक कर दिया। इसलिए कहा जाता है कि कोई भी काम शुरू करने से पहले सर्वप्रथम गणेश जी को मनाना चाहिए। उनकी कृपा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता।

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