Nainital: नैनीताल में घूमने लायक हैं ये बेहतरीन जगहें, प्रमुख है हनुमानगढ़ी

Edited By Updated: 16 May, 2025 07:07 AM

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Nainital: हमारे देश के सभी पर्यटन स्थलों में उत्तर-पूर्व में जो दर्जा दार्जिलिंग को प्राप्त है, वही दर्जा उत्तर के हिमालयी क्षेत्र में नैनीताल को प्राप्त है। समुद्र तल से 1936 मीटर की ऊंचाई पर 1173 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस अत्यंत रमणीय...

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Nainital: हमारे देश के सभी पर्यटन स्थलों में उत्तर-पूर्व में जो दर्जा दार्जिलिंग को प्राप्त है, वही दर्जा उत्तर के हिमालयी क्षेत्र में नैनीताल को प्राप्त है। समुद्र तल से 1936 मीटर की ऊंचाई पर 1173 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस अत्यंत रमणीय स्थान का अंग्रेजों ने एक शहर के रूप में विकास किया और इसे तत्कालीन संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया। उत्तर में चीनी पर्वत श्रेणी, पश्चिम में देवपथ और दक्षिण में अयारापाटा पर्वत श्रेणी से घिरा हुआ यह मनोरम नगर झीलों की अधिकता के कारण दशकों पहले ‘छकता’ कहलाता था। छकता यानी साठ झीलों वाला क्षेत्र लेकिन प्रकृति के टेढ़े-मेढ़े कदमों के कारण इनमें से कई झीलें सूख गईं या पोखरों में परिवर्तित हो गईं। जो झीलें अभी बची हैं, उनसे भी यह नगर बहुत सुंदर लगता है। इसका नाम यहां की प्रसिद्ध नैनी झील के नाम पर पड़ा है। सिर्फ झीलें ही क्यों, यहां पर वे सारी चीजें भी हैं जिनसे यह विश्वास प्रबल होता है कि प्रकृति ने इस नगर को मुक्त हस्त से अद्भुत सौंदर्य उपहार स्वरूप प्रदान किया। जिसके कारण आज भी दूर-दूर से असंख्य लोग बरबस यहां खिंचे चले आते हैं। नैनीताल के कई दर्शनीय स्थलों में से कुछ प्रमुख हैं :

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हनुमानगढ़ी
नैनीताल से हनुमानगढ़ी तक की तीन किलोमीटर की दूरी आसपास के सुंदर दृश्यों को देखते हुए पैदल भी तय की जा सकती है। इस स्थान से सूर्यास्त का बहुत ही मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। इस शांत वातावरण में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है।

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राजभवन
इसका निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। ग्रीष्मकाल में जब संयुक्त प्रांत की राजधानी नैनीताल आती थी तब गवर्नर यहीं रहते थे। मोहक, सौंदर्यपूर्ण और शांत परिवेश में बनाया गया 113 कमरों वाला यह दो मंजिला भवन अत्यंत भव्य है। बड़े-बड़े पेड़ों से घिरे और हरे-भरे पहाड़ के समीप इस शांत स्थान पर समय व्यतीत करना बहुत अच्छा लगता है।

स्नो व्यू
नैनीताल से उत्तर की ओर अढ़ाई किलोमीटर की चढ़ाई के बाद पर्यटक यहां पहुंच सकते हैं। इसके लिए यहां खच्चरों और रोप वे ट्राली की भी सुविधा है। अधिक आनंद उठाने के लिए बेहतर होगा कि आप खच्चर पर बैठकर ऊपर जाएं और ट्राली में बैठकर नीचे लौटें।
2270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान से आप यहां उपलब्ध दूरबीन द्वारा दूर-दूर तक फैली हिममंडित पर्वत शृंखला, रानीखेत आदि के विहंगम दृश्यों को देख सकते हैं।

नैना पीक
नैनीताल में छ: किलोमीटर दूर और समुद्र तल से 2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान आसपास की सात पर्वत चोटियों में सबसे ऊंचा है। इसे चाइना पीक के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान तक पैदल भी पहुंचा जा सकता है और खच्चर से भी। अगर मौसम साफ हो तो यहां से कटोरीनुमा नैनीताल और रजत मंडित सी हिमालय शृंखला का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।

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बारापत्थर
नैनीताल से साढ़े तीन किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान पर्वतारोहियों का प्रिय स्थल है। ‘हैंगिग राक्स’ कहे जाने वाले यहां के पथरीले पर्वतों पर चढ़ रहे पर्वतारोहियों को देखना भी सुखद लगता है।

टिफिन टॉप
यह सुंदर स्थान नैनीताल से साढ़े चार किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर्यटक पैदल भी पहुंच सकते हैं और खच्चरों द्वारा भी। इस शांत स्थान से आसपास के विहंगम दृश्य देखने का अपना एक अलग ही आनंद है।

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वेधशाला
हनुमानगढ़ी से कुछ दूरी पर मनोरा पीक में स्थित यह वेधशाला देश की कुछ गिनी-चुनी अत्याधुनिक वेधशालाओं में से एक है। यह सप्ताह में निश्चित समय में ही खुलती है। यहां एक विशाल दूरबीन है, जिससे ग्रहों, उपग्रहों, तारों, चंद्रमा आदि की स्थिति देखी जा सकती है।

किलबरी
नगर से 12 किलोमीटर दूर इस स्थान तक बस वगैरह का जाना मुश्किल होता है। अत: आप यहां किसी छोटे वाहन या खच्चर से जाएं। घने वृक्षों से घिरे इस सुंदर स्थल से प्राकृतिक सुषमा के साथ-साथ तरह-तरह के वन्य जीवों और पक्षियों को देखने का भी आनंद उठाया जा सकता है। नैनीताल के साथ-साथ इसके आसपास भी कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

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सातताल
नैनीताल से 21 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान पर पहले सात झीलें थीं लेकिन अब उनमें से सिर्फ चार ही बची हैं। फिर भी यहां का प्राकृतिक सौंदर्य यथावत है। इन झीलों के नीले जल में जब आसपास खड़े घने हरे पेड़ों की परछाइयां पड़ती हैं तब रंगों का अद्भुत मेल दृष्टिगोचर होता है। इन झीलों में तैर रही नौकाएं यहां की सुंदरता और रमणीयता में बढ़ौतरी करती हैं।

भीमताल
नैनीताल से 22 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान के संबंध में ऐसी मान्यता है कि यहां जो विशाल झील है, उसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था। यह झील बहुत सुंदर है। इसके मध्य में एक छोटा-सा टापू है जहां एक रेस्तरां भी है। इस रेस्तरां में बैठ कर झील में चल रही नौकाओं को निहारना बहुत ही मनोरम प्रतीत होता है। इस झील में स्वयं नौकायन करने पर अधिक आनंद आता है।

रामगढ़
नैनीताल से 26 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अपने खुले वातावरण और स्वच्छ हवा के कारण अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। यहां पर विभिन्न तरह के फलों के पेड़ बहुतायत में हैं जिन्हें देखना बहुत सुखद प्रतीत होता है। यहां पर पर्यटक आवास गृह भी है।

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नौकुचिया ताल
भीमताल से चार किलोमीटर और नैनीताल से 26 कि.मी. दूर स्थित इस झील के नौ कोने हैं इसीलिए इसे नौकुचिया ताल कहा जाता है। इस झील में कमल के फूलों के बीच प्राकृतिक दृश्यों की प्रतिछाया को जल में निहारते हुए नौका विहार करना बहुत ही सुखद लगता है।

पहुंचने के साधन
नैनीताल देश के सभी प्रमुख नगरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। पूर्ण विकास न होने के कारण अभी तक यह रेलमार्ग से अछूता है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन 35 किलोमीटर दूर काठगोदाम है।

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