Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Mar, 2023 09:59 AM

इन दिनों झारखंड के दुमका में साम्प्रदायिक सौहार्द का एक दिल छूने वाला मामला देखने को मिल रहा है
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Parth sarthi mandir: इन दिनों झारखंड के दुमका में साम्प्रदायिक सौहार्द का एक दिल छूने वाला मामला देखने को मिल रहा है। यहां के रानीश्वर में हामिदपुर के एक मुस्लिम शख्स लगभग 40 लाख रुपए की लागत से भगवान श्री कृष्ण का मंदिर बनवा रहे हैं।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

भगवान श्री कृष्ण का ‘पार्थ सारथी मंदिर’ इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है तो इसकी वजह मुस्लिम शख्स नौशाद शेख हैं जो रानीश्वर के उप प्रमुख हैं। उन्होंने साल 2019 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया था।

वह बताते हैं कि एक बार वह पश्चिम बंगाल के मायापुर नामक स्थान पर घूमने गए थे। इस दौरान उनके सपने में भगवान श्री कृष्ण आए थे। प्रभु ने उनसे कहा था कि वह तो उनके इलाके में स्वयं विराजमान हैं। वह यहां क्यों घूमने आए हैं? तब श्री कृष्ण ने उनसे सपने में कहा था कि वहीं पहुंचो।

इसके बाद नौशाद ने लौट कर पार्थ सारथी मंदिर बनवाने के बारे में सोचा। नौशाद ने बताया कि पहले यहां खुले आसमान के नीचे भगवान की पूजा होती थी। इसके बाद उन्होंने स्वयं मंदिर बनवाने के बारे में सोचा।

नौशाद मंदिर बनवाने से लेकर उसके समस्त अनुष्ठान का आयोजन भी खुद ही करेंगे। उनका कहना है कि इस्लाम धर्म में दीन-दुखियों की सेवा करने के बारे में कहा गया है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि हर धर्म की इज्जत करें।

सभी धर्मों में ऐसी ही बातें कही गई हैं। सभी धर्म के जो धार्मिक कार्य हैं, उनमें भाग लेना चाहिए, ताकि एक सामाजिक-धार्मिक सौहार्द और भाईचारे का माहौल बना रहे।वह कहते हैं, ‘‘मैं भले ही इस्लाम का पाबंद हूं लेकिन मुझे हिन्दू धर्म में भी गहरी आस्था है। मेरी आस्था वर्षों से यहां स्थापित भगवान पार्थ सारथी के प्रति रही है।’’

गांव वाले बताते हैं कि करीब 300 साल पहले बंगाल के हेतमपुर एस्टेट के राज परिवार ने प्रभु पार्थ सारथी की पूजा मिट्टी की प्रतिमा बनाकर शुरू की थी।यह इलाका उसी एस्टेट के अंदर आता था लेकिन जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद यह बंद हो गया था।

1980 के दशक में रानीश्वर के प्रमुख मो. कादिर ने यहां पूजा फिर शुरू कराई। नौशाद की इस पहल से गांव के हिन्दू व मुस्लिम समाज के लोग खुश हैं।
