Edited By Sarita Thapa,Updated: 16 Nov, 2025 12:57 PM

जीवन में अक्सर हम इस दुविधा में फंस जाते हैं कि क्या हमें अपने मनपसंद काम की ओर बढ़ना चाहिए, या वर्तमान में जो काम चल रहा है उसी में लगे रहना चाहिए?
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Premanand Maharaj Pravachan: जीवन में अक्सर हम इस दुविधा में फंस जाते हैं कि क्या हमें अपने मनपसंद काम की ओर बढ़ना चाहिए, या वर्तमान में जो काम चल रहा है उसी में लगे रहना चाहिए? इस आंतरिक उलझन को लेकर वृंदावन के संत, प्रेमानंद महाराज जी ने अपने प्रवचनों में बहुत ही स्पष्ट और मार्गदर्शक बात कही है, जो आपकी सारी कन्फ्यूजन को दूर कर सकती है। महाराज जी का मत केवल सांसारिक सफलता पर केंद्रित नहीं होता, बल्कि वह व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक विकास और भाग्य की शक्ति के बारे में समझाते हैं।
महाराज जी का उत्तर: भजन और तपस्या से भाग्य को बदलो
जब भक्तों ने महाराज जी से पूछा कि "अगर हमें कोई चीज पसंद है, लेकिन वह हमारे भाग्य में नहीं लिखी है, तो क्या उसे पाया जा सकता है?"
इस सवाल पर महाराज जी ने स्पष्ट उत्तर दिया: "क्यों नहीं? बिल्कुल कर सकते हो!"
उन्होंने आगे कहा, "हम मनुष्य शरीर में केवल प्रारब्ध भोगने नहीं आए हैं। अगर हम कुछ न करें, भजन न करें, तपस्या न करें, तो हमें वही मिलेगा जो पहले से हमारे भाग्य में लिखा है।" लेकिन मनुष्य का सबसे बड़ा वरदान यही है कि वह अपना नया प्रारब्ध स्वयं रच सकता है।

मनचाही चीज पाने का उपाय
महाराज जी ने मनचाही वस्तु या लक्ष्य को प्राप्त करने का एक ही सीधा और सरल उपाय बताया। उन्होनें कहा कि जीवन में अनुशासन और कठोरता अपनाओ और सच्चे मन से ईश्वर का नाम जपो और भक्ति करो। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कम से कम महीने में आने वाली दो एकादशी का व्रत करना शुरू कर दो और भजन करो। यदि सच्चे मन से भजन और तपस्या की जाए, तो वह चीज भी प्राप्त की जा सकती है जो आज आपके भाग्य में नहीं लिखी है।
