Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Nov, 2022 11:58 AM
एक महात्मा घूमते हुए किसी गांव में पहुंचे। महात्मा जी ने वहीं रात बिताने की इच्छा प्रकट की। लोग बड़े प्रसन्न हुए। एक ग्रामीण उन्हें अपने घर ले गया। जब वहां के राजा को यह पता चला कि पास के गांव से एक महात्मा आए हुए हैं
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Religious Katha: एक महात्मा घूमते हुए किसी गांव में पहुंचे। महात्मा जी ने वहीं रात बिताने की इच्छा प्रकट की। लोग बड़े प्रसन्न हुए। एक ग्रामीण उन्हें अपने घर ले गया। जब वहां के राजा को यह पता चला कि पास के गांव से एक महात्मा आए हुए हैं तो उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि आदरपूर्वक महात्मा जी को महल में ले आएं। महात्मा जी को आते देखकर राजा ने कहा कि महाराज, कहिए आपकी रात कैसी बीती? महात्मा जी ने कहा कि आधी रात आप जैसी और आधी आपसे अच्छी। उनकी बात राजा को समझ में नहीं आई। उन्होंने कहा कि महात्मा जी मुझे तो बताया गया कि रात को आप जमीन पर हाथ का तकिया बनाकर सो रहे थें फिर भी आप मुझे कह रहे हैं कि आधी रात मुझ जैसी और आधी मुझसे भी अच्छी। यह कैसे संभव है?
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महात्मा जी बोले-राजन, अर्धरात्रि के बाद मैं भी सोया और आप भी। हां, दोनों अलग-अलग स्थितियों में सोए। लेकिन नींद आने के बाद जमीन और फूलों की सेज में अंतर ही क्या रह जाता है? राजा ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा कि हां, नींद में हम दोनों एक से हो गए। महात्मा जी ने फिर कहा कि राजन, अर्धरात्रि के पहले आप ने आपने राज्य के झंझट और चिंता में अपना समय बिताया है, जबकि मैंने अपना समय ईश्वर की आराधना में बिताया। महात्मा ने कहा, इसीलिए मैं आपको कह रहा था कि आधी रात तो आप जैसी बीती और आधी रात आपसे अच्छी। राजा को महात्मा की बातों का गूढ़ा रहस्य समझ में आ गया। वह उनकी बातें सुनकर उनके चरणों में नतमस्तक हो गए।