Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jun, 2025 11:27 AM

धन-दौलत से भरी तिजोरी, आलिशान बंगला, बड़ी गाड़ी और आगे-पीछे घुमते नौकर। ऐसा सपना लगभग हर किसी का होता है। अपने इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए व्यक्ति जी तोड़ कोशिश तो करता ही है, साथ में भगवान से अमीर बनने की प्रार्थना करना नहीं भूलता। वास्तव में धन...
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धन-दौलत से भरी तिजोरी, आलिशान बंगला, बड़ी गाड़ी और आगे-पीछे घुमते नौकर। ऐसा सपना लगभग हर किसी का होता है। अपने इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए व्यक्ति जी तोड़ कोशिश तो करता ही है, साथ में भगवान से अमीर बनने की प्रार्थना करना नहीं भूलता। वास्तव में धन ऐसी भूख है जो कभी शांत नहीं होती। यह हर पल हर दिन बढ़ती जाती है। आइए पढ़ें सुंदर कथा, जो आपको अमीर होने का असली अर्थ बताएगी-

एक बार एक संत जंगल में ध्यान मगन बैठे थे। वह आसपास की गतिविधियों से बिल्कुल बेखबर भगवान की तपस्या कर रहे थे कि तभी वहां से एक अमीर आदमी गुजरा और वह संत को देख कर बहुत प्रभावित हुआ।
जब संत ने आंखें खोलीं तो वह उनके आगे हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और अपने थैले से 1000 सोने के सिक्के निकाल कर बोला कि महाराज मेरी तरफ से ये सिक्के स्वीकार करें। मुझे उम्मीद है कि आप इनका उपयोग अच्छे कामों में ही करेंगे।

संत उसे देखकर मुस्कुराए और बोले कि क्या तुम अमीर आदमी हो? वह बोला हां। संत ने कहा कि क्या तुम्हारे पास और धन है, वह बोला हां घर पर मेरे पास और बहुत सारा धन है, मैं बहुत अमीर हूं।
संत बोले कि क्या तुम और ज्यादा अमीर बनाना चाहते हो?

वह बोला- हां, मैं रोज भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मुझे और धन दें मैं और अमीर हो जाऊं।
यह सुनकर संत ने उसे सिक्के वापस देते हुए कहा कि यह अपना धन वापस लो, मैं भिखारी से कभी कुछ नहीं लेता। वह आदमी अपना अपमान सुन कर गुस्सा हो गया कि आप यह क्या बोल रहे हों। संत बोले कि मैं तो भगवान का भक्त हूं मेरे पास सब कुछ है मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं लेकिन तुम तो रोज भगवान से धन मांगते हो तो अमीर तो मैं हूं तुम तो भिखारी हो।
तो मित्रो अमीर की दौलत उसका चरित्र होता है न कि धन।
