Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jun, 2018 02:51 PM
बहुत समय पहले की बात है। एक शहर में एक राजा रहता था, उस राजा को अपने सभी नगरवासियों से बहुत लगाव और प्रेम था। वह सबकी मदद करने के लिए तत्पर रहता। एक सुबह राजा के यहां पर एक फकीर आया
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बहुत समय पहले की बात है। एक शहर में एक राजा रहता था, उस राजा को अपने सभी नगरवासियों से बहुत लगाव और प्रेम था। वह सबकी मदद करने के लिए तत्पर रहता।
एक सुबह राजा के यहां पर एक फकीर आया, उसने राजा की खातिरदारी करी और ईमानदारी देखकर राजा को एक चुटकी के बराबर सुरमा दिया और कहा, ‘‘यह सुरमा कोई सामान्य सुरमा नहीं है, यह चमत्कारी सुरमा है। इस सुरमे को जो भी नेत्रहीन अपनी आंखों में लगाएगा, उसका अंधापन दूर हो जाएगा और वह फिर से देखने लगेगा।’’
इतना कहकर फकीर राजा को सुरमा देकर अपनी राह पर निकल पड़ा। राजा ने सोचा कि हमारे राज्य में नेत्रहीनों की संख्या तो बहुत ज्यादा है और सुरमे की मात्रा भी इतनी है कि सिर्फ एक आदमी ही इस सुरमे को अपनी आंखों में डाल सकता है तो क्यों न ऐसे आदमी को यह सुरमा दिया जाए, जो हर तरह से इसके लायक हो। इसलिए राजा ने अपने अतिप्रिय आदमी को ही सुरमा देने का निश्चय किया। राजा को तभी अपने ईमानदार और प्रमाणिक वृद्ध मंत्री का ख्याल आया। उस मंत्री ने पूरी उम्र ईमानदारी और निष्ठा से राज्य की सेवा की थी पर दोनों आंखों का तेज चले जाने से मंत्री को राजकार्य से विदा लेनी पड़ी। अभी तक राजा को उस मंत्री की कमी महसूस हो रही थी।
राजा ने सोचा कि यदि मंत्री की आंखों की रोशनी वापस आ जाए तो फिर से राज्य को मंत्री की सही और अनुभव भरी सेवा मिल सकती है इसलिए राजा ने तनिक भी विचार किए बिना ही मंत्री को बुलाया, उनके हाथ में सुरमे की डिब्बी देकर कहा कि ‘‘यह सुरमा आप अपनी दोनों आंखों में लगा लें, यह चमत्कारी सुरमा है, इसको आंखों में लगाने से आपकी दृष्टि वापस आ जाएगी, पर यह सुरमा इतना ही है कि इसे सिर्फ दो आंखों में ही लगा सकते हैं।’’
मंत्री ने अपनी एक आंख में सुरमा डाला और उस आंख की रोशनी वापस लौट आई। उसके बाद बाकी बचे सुरमे को मंत्री ने अपनी जीभ पर रख़ दिया। सब लोगों ने सोचा कि मंत्री पागल हो गया है और राजा ने भी उससे कहा कि मंत्री जी यह आपने क्या किया? अब आप एक आंख से नहीं देख सकोगे और सभी प्रजाजन आपको काना कहकर बुलाएंगे।
मंत्री ने राजा को प्यार से अपनी वाणी से समझाया, ‘‘आप तनिक भी चिंता न करें। मैं बिल्कुल भी काना नहीं रहूंगा। मेरी दोनों आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी। इससे ज्यादा मैं सभी नेत्रहीनों को भी रोशनी दे सकूंगा।’’
मंत्री ने अपना राज़ खोलते हुए कहा कि राजन यह सुरमा चख़कर मैंने इसको बराबर परख़ लिया कि यह किससे बना है, अब यह सुरमा बनाकर मैं सभी नेत्रहीन नगरवासियों का अंधापन दूर कर सकूंगा।
मंत्री की बात सुनकर राजा प्रसन्न हो गए और कहा, ‘‘यह मेरा और इन नगरवासियों का सौभाग्य है, जो हमें आपके जैसा राजमंत्री मिला है, जो केवल अपना न सोचकर सभी का ख्याल करता है।’’
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