Krishna's Divine Protection: महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी थे श्रीकृष्ण और रक्षक श्री हनुमान, पढ़ें रहस्यात्मक कथा

Edited By Updated: 15 Sep, 2025 03:49 PM

role of lord hanuman in the war of mahabharata

Kurukshetra War: हिंदू संस्कृति में ध्वजा (झंडा) को शुभता, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों और वास्तु दोनों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। ध्वजा को देवताओं का वाहन और उनकी उपस्थिति का संकेत माना जाता है। घर पर ध्वजा लगाने से...

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Kurukshetra War: हिंदू संस्कृति में ध्वजा (झंडा) को शुभता, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों और वास्तु दोनों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। ध्वजा को देवताओं का वाहन और उनकी उपस्थिति का संकेत माना जाता है। घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और ईश्वरीय कृपा बनी रहती है। पुराणों के अनुसार घर में ध्वजा स्थापित करने से यज्ञ, दान और पूजा का फल मिलता है। ध्वजा परंपरागत रूप से विजय और उत्सव का प्रतीक है। इसे लगाने से घर में साहस और आत्मबल बढ़ता है। आप भी लाल रंग के तिकोने झण्डे पर श्रीराम लिखकर घर की छत पर लगाएं। इस तरह हनुमान जी को अपने घर बुलाएं और फिर देखें होंगे कैसे अनोखे चमत्कार। महाभारत युद्ध में जिस तरह हनुमान जी ने अर्जुन के रथ की रक्षा करी उसी तरह वह आपके भी घर की रक्षा करेंगे। आइए जानें, पौराणिक कथा, कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ पर पवनपुत्र को विराजित किया था-

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Role of Lord Hanuman in the war of Mahabharata: हनुमान जी के किसी भी चित्र में देखें तो पाएंगे की उनके हाथ में सदा गद्दा और झण्डा रहता है। झण्डे पर लिखा होता है श्रीराम। महाभारत युद्ध के समय हनुमान जी अर्जुन के रथ के झण्डे पर विराजित थे। उन्होंने अजुर्न की पग-पग पर रक्षा करी और उसे विजय दिलवाने में उनका बहुत बड़ा योगदान था। आईए जानें कैसे। 

शास्त्रनुसार कौरव-पांडव युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार अर्जुन के रथ पर स्वयं पवनपुत्र विराजित हुए। जैसे ही महाभारत युद्ध समाप्त हुआ तभी भीम और दुर्योधन के बीच गद्दा युद्ध प्रारंभ हुआ। गद्दा युद्ध में नियमों का उल्लंघन कर भीम ने दुर्योधन को हरा दिया। दुर्योधन को मृतवस्था में छोड़कर सभी पांडव के शिविर में लौट आए। 

तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संबोधित करते हुए कहा। हे पार्थ! सर्वप्रथम तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकस को लेकर रथ से उतर जाओ। अर्जुन ने श्रीकृष्ण के निर्देश का पालन किया। इसके बाद भगवान कृष्ण भी रथ से उतर गए।

भगवान कृष्ण के रथ से उतरते ही अर्जुन के रथ पर धवजा पर विराजे हनुमान जी भी रथ को छोड़कर उड़ गए। तभी अर्जुन का रथ जल कर भस्म हो गया। इस दृश्य को देख अर्जुन ने भगवान कृष्ण से रथ के जलने का कारण पूछा। 

तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को संबोधित करते हुए कहा। हे पार्थ। तुम्हारा रथ तो अनेक दिव्यास्त्रों के प्रहार से पहले ही जल चुका था, मात्र मेरे तथा पवनपुत्र हनुमान जी के तुम्हारे रथ पर विराजे रहने के कारण ही अब तक यह भस्म नहीं हुआ था। हे अर्जुन! जब तुम्हारा युद्ध का कर्तव्य पूरा हो गया, तभी मैंने व हनुमान जी से इस रथ को त्याग दिया। अतः तुम्हारा रथ अभी भस्म हुआ है।

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Rule for hoisting the flag ध्वजा लगाने का नियम
ध्वजा हमेशा सुबह सूर्योदय के बाद लगानी चाहिए।
ध्वजा फटी हुई या मैले कपड़े की नहीं होनी चाहिए।
समय-समय पर ध्वजा बदलते रहना शुभ है।

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