Edited By Sarita Thapa,Updated: 21 Aug, 2025 06:00 AM

Saint Namdev Story: संत नामदेव अपने शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे। तभी किसी शिष्य ने एक प्रश्न किया- “गुरुवर! हमें बताया जाता है कि ईश्वर हर जगह मौजूद है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Saint Namdev Story: संत नामदेव अपने शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे। तभी किसी शिष्य ने एक प्रश्न किया- “गुरुवर! हमें बताया जाता है कि ईश्वर हर जगह मौजूद है। पर यदि ऐसा है, तो वे हमें कभी दिखाई क्यों नहीं देते?” नामदेव अपने शिष्य का सवाल सुनकर मुस्कुराए। उन्होंने एक शिष्य से एक लोटा पानी और थोड़ा-सा नमक लाने को कहा। शिष्य तुरंत दोनों चीजें लेकर आ गया।
तभी संत नामदेव ने उस शिष्य से कहा, “पुत्र! तुम नमक को लोटे में डालकर घोल दो।”
शिष्य ने ठीक वैसा ही किया। संत ने शिष्यों से पूछा, “बताओ जरा, क्या इस पानी में किसी को नमक दिखाई दे रहा है?”
सभी शिष्यों ने ‘नहीं’ में सिर हिलाया। संत ने पूछा, “ठीक है! अब कोई इसे चखकर बताए कि नमक का स्वाद आ रहा है?”
एक शिष्य ने पानी चखते हुए कहा, “जी! इसमें नमक का स्वाद आ रहा है।”

संत ने कहा, “अच्छा! अब जरा इस पानी को कुछ देर उबालो।” कुछ देर तक पानी उबलता रहा और जब सारा पानी भाप बन कर उड़ गया, तो संत ने पुन: शिष्यों को लोटे में देखने को कहा और पूछा, “क्या अब आप सभी को इसमें कुछ दिखाई दे रहा है?”
एक शिष्य ने कहा, “हमें नमक के कण दिख रहे हैं।”
संत सभी शिष्यों को समझाते हुए बोले, “जिस प्रकार तुम पानी में घुले नमक का स्वाद तो अनुभव कर पाए, पर उसे देख नहीं पाए। उसी प्रकार संसार में तुम्हें ईश्वर हर जगह दिखाई नहीं देता, पर तुम उनका अहसास जरूर कर सकते हो। जिस तरह अग्नि के ताप से पानी भाप बनकर उड़ गया और नमक दिखाई देने लगा, उसी प्रकार तुम भक्ति, ध्यान और सत्कर्म द्वारा अपने विकारों का अंत कर भगवान को प्राप्त कर सकते हो।”
