Edited By Prachi Sharma,Updated: 31 May, 2025 07:00 AM

Salasar Balaji Mandir: सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जी की एक अनोखी मूर्ति स्थापित है, जो दाढ़ी-मूंछों वाले स्वरूप में है। यह भारत का एकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी को इस विशिष्ट रूप में पूजा जाता है। राजस्थान के चुरू जिले में जयपुर-बीकानेर...
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Salasar Balaji Mandir: सालासर बालाजी मंदिर में हनुमान जी की एक अनोखी मूर्ति स्थापित है, जो दाढ़ी-मूंछों वाले स्वरूप में है। यह भारत का एकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी को इस विशिष्ट रूप में पूजा जाता है। राजस्थान के चुरू जिले में जयपुर-बीकानेर मार्ग पर स्थित यह मंदिर हर दिन हजारों श्रद्धालुओं से भरा रहता है, जो बालाजी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं।
सालासर बालाजी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जो काफी समय पहले की है। एक किसान, जिसका नाम मोहनदास था, अपने खेत में हल चला रहा था। हल जब ज़मीन में गड़ा था, तो अचानक वह किसी कठोर और नुकीली चीज़ से टकराया। मोहनदास ने उस वस्तु को निकालकर देखा तो वह हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति थी। उस वक्त मोहनदास के पास दोपहर के भोजन में चूरमा था, जिसे उसने उस मूर्ति को भेंट स्वरूप चढ़ा दिया। इस चमत्कारिक घटना के बाद वहां सालासर बालाजी मंदिर का निर्माण हुआ, जो आज भक्तों की गहरी आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है।
हनुमान जी की दाढ़ी-मूंछ क्यों हैं

मोहनजी के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना तब घटी जब उन्हें हनुमान जी का एक सपना आया। इस सपने में हनुमान जी एक अलग ही रूप में दिखाई दिए, जिसमें उनकी दाढ़ी-मूंछ साफ नजर आ रही थी। यह स्वरूप मोहनदास के लिए विशेष था क्योंकि हनुमान जी ने इस रूप में उनसे बात की। बालाजी ने मोहनदास को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया कि वे मूर्ति को बैलगाड़ी में रखकर खेत में ले जाएं और उसे उसी स्थान पर स्थापित करें जहा बैलगाड़ी बंधे हुए बैल खुद-ब-खुद रुक जाएं।
मोहनदास ने इस दिव्य आदेश का पालन किया। वे बैलगाड़ी लेकर खेत की ओर बढ़े और जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, बैलगाड़ी एक निश्चित जगह पर रुक गई। यही वह स्थान था जहां आज सालासर बालाजी की मूर्ति स्थापित है। इस तरह, बैलों के अपने आप रुक जाने के संकेत के कारण यह स्थान खास बन गया और वहां बालाजी की मूर्ति की स्थापना हुई।
सपने में हनुमान जी का दाढ़ी-मूंछ वाला स्वरूप मोहनदास के मन में गहरी छाप छोड़ गया। इस वजह से उन्होंने बालाजी की मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर बालाजी का पूरे मनोयोग से श्रृंगार किया। यह घटना न केवल मोहनदास के लिए बल्कि भक्तों के लिए भी एक प्रेरणादायक कहानी बन गई, जो यह दर्शाती है कि किस तरह से आध्यात्मिक संकेतों का सम्मान करते हुए एक पवित्र स्थान की स्थापना हुई।

इस प्रकार, मोहनदास की भक्ति और हनुमान जी के दिव्य संदेश ने सालासर बालाजी को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया, जहां आज भी हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजा करने आते हैं।
सालासर बालाजी मंदिर में नारियल चढ़ाने की परम्परा
200 सालों से इस मंदिर में एक परम्परा चली आ रही है। यहां खेजड़ी के एक पेड़ पर लाल कपड़े में नारियल बांधे जाते हैं। अपनी मनोकामना को बोलने के बाद बालाजी को नारियल चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से आपकी अधूरी मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती हैं।