Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Nov, 2022 07:17 AM
सत्य, धर्म, शांति प्रेम व अहिंसा के संदेश वाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा जी का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा।
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Sri Sathya Sai Baba Birthday celeberations: सत्य, धर्म, शांति प्रेम व अहिंसा के संदेश वाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा जी का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा को समर्पित रहा। इन्होंने जहां असंख्य लोगों को आध्यात्म से जोड़ा, वहीं उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। 23 नवम्बर, 1926 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे गांव पुट्टापूर्ति में माता श्रीमती ईश्वरम्मा जी के कोख से सत्य नारायण (इनके बचपन का नाम) का जन्म हुआ। कहा जाता है इनके जन्म के समय घर में पड़े सभी वाद्य यंत्र अपने आप बजने लगे और जिस झूले में इन्हें लिटाया गया उसे नाग देवता ने प्रकट हो झुलाया।
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14 वर्ष की आयु में श्री सत्य नारायण राजू ने अपने परिवार वालों को यह कह कर घर छोड़ दिया कि वह शिरडी के साईं बाबा हैं। उन्होंने कहा मैंने उनकी मृत्यु के 8 वर्ष बाद जन्म लिया है और अब मैं उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण करूंगा। यह कह कर वह गांव में कुछ दूर पर एक वृक्ष के नीचे बैठ कर अपना जीवन बिताने लगे।
वर्ष 1949 में पुट्टापूर्ति गांव से लगभग एक मील दूर बाबा ने एक आश्रम का निर्माण आरंभ करवाया, जिसका डिजाइन इन्होंने स्वयं तैयार किया। उनके 24वें जन्म दिवस पर 23 नवम्बर, 1950 को इस आश्रम का उद्घाटन किया गया, जो आज ‘प्रशांति निलयम’ (शांति का घर) के नाम से प्रसिद्ध है और विश्व का विशाल आध्यात्मिक एवं सेवा केंद्र है।
यहां हृदय रोगों से संबंधित एशिया का सबसे बड़ा अत्याधुनिक अस्पताल है। बाबा ने एक विशाल विद्यालय का भी निर्माण करवाया, जहां बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी दी जाती है।
‘सत्य साईं सेवा संगठन’ के नाम से संपूर्ण विश्व में इनका मानव धर्म फैला हुआ है। बच्चों को अपनी महान संस्कृति का ज्ञान तथा नैतिक शिक्षा देने के लिए देश भर में प्रत्येक रविवार को बाल विकास की कक्षाएं लगाई जाती हैं।
बाबा सदैव व्यक्तित्व निर्माण पर बल देते थे। वह कहा करते थे :
सत्य कभी मर नहीं सकता और असत्य कभी जीवित नहीं रह सकता। धर्म की शक्ति सत्य है जो आणविक शक्ति से अधिक शक्तिशाली है। शांति बाहर नहीं, तुम्हारे भीतर ही है, उसे ढूंढो।
अहिंसा वही है जो तुम अपने लिए चाहते हो और वही दूसरों के प्रति करो।
आत्मा हमारी गुरु व मार्गदर्शक है। यदि हम अपनी आत्मा की आवाज सुनेंगे तो हम अच्छे इंसान बन सकते हैं। इसलिए व्यक्ति में दृढ़ संकल्प का होना अति आवश्यक है।
ईश्वर पर विश्वास करें। ईश्वर एक है, बेशक उसे अनेक नामों से पुकारा जाता हो।
सभी धर्मों का आदर करें क्योंकि कोई भी धर्म बुरी बात नहीं बताता।
हृदय को स्वच्छ रखेंगे तो चरित्र अपने आप सुंदर बन जाएगा। यदि चरित्र सुंदर होगा तो घर समृद्ध होगा, देश खुशहाल बनेगा। विश्व में शांति होगी।
राष्ट्र भक्त बनें। जिस देश में रहते हैं, उसके कानून का पालन करें।
दिन का प्रारंभ करो प्रेम से, दिन को पूर्ण करो प्रेम से और दिन को विराम दो प्रेम से।
आप सदैव आभार तो प्रकट नहीं कर सकते, परंतु नम्रता से बोल तो सकते हैं। मानवता से भाई-बहन का और परमात्मा से माता-पिता का रिश्ता रखें।
24 अप्रैल, 2011 को सत्य धर्म, शांति, प्रेम व अहिंसा के संदेशवाहक भगवान श्री सत्य साईं बाबा इस नश्वर संसार को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए और पीछे छोड़ गए अपने करोड़ों अनुयायी, जो इनके उपदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं।