Edited By Lata,Updated: 20 Mar, 2020 12:33 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानि 21 मार्च दिन शनिवार को प्रदोष व्रत का पालन किया जाएगा।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानि 21 मार्च दिन शनिवार को प्रदोष व्रत का पालन किया जाएगा। इस बार ये व्रत शनिवार को पड़ रहा है तो इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन भोलेबाबा व माता पार्वती की पूजा का विधान है और प्रदोष व्रत का पूजन शाम के समय ही किया जाता है। इस दिन व्रत रखकर शिवजी की प्रदोष काल में विशेष पूजा करने से अनेक कामनाएं स्वतः ही पूरी होने लगती है। बुहत से लोग प्रदोष व्रत रखते हैं, लेकिन जो लोग व्रत नहीं कर पाते वे केवल शाम के समय भगवान का पूजन कर लें तो भी उनकी कृपा को पा सकते हैं।
मान्यता है कि प्रदोष काल में विधिवत पूजा अर्चना के बाद रुद्राक्ष की माला से 108 बार "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र का जप करें। मंत्र जप पूरा होने के बाद भगवान शंकर जी से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें।
Follow us on Twitter
Follow us on Instagram
भगवान को बनाए हुए प्रसाद का भोग लगाएं और वह प्रसाद सभी में बांटे और बाद में खुद भी ग्रहण करें। कहा जाता है कि उपरोक्त विधि से प्रदोष काल में पूजा करने से व्रती की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार अनेक व्रतों में प्रदोष व्रत को सबसे प्रथम स्थान प्राप्त है। प्रदोष वाले दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में शिव पूजा अर्चना करने से मनुष्य जीवन में हुए ज्ञात-अज्ञात पुराने से पुराने पाप कर्मों से मूक्ति मिल जाती है और कामनाएं पूरी होने लगती है।