पढ़ाई और नौकरी की सभी उलझने सुलझाएं, कल इस विधि से करें सरस्वती पूजा

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 01:58 PM

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1 फरवरी को वसंत पंचमी पर्व है। माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जब सूर्य देवता उत्तरायण रहते हैं, ऐसे में गुप्त नवरात्रि के मध्य पंचमी तिथि को लोक प्रसिद्ध स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में

1 फरवरी को वसंत पंचमी पर्व है। माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जब सूर्य देवता उत्तरायण रहते हैं, ऐसे में गुप्त नवरात्रि के मध्य पंचमी तिथि को लोक प्रसिद्ध स्वयं सिद्ध मुहूर्त के रूप में माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह दिन प्रत्येक शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना का दिन है। यह त्रिशक्ति में एक माता शारदा की आराधना के लिए विशिष्ट दिवस के रूप में शास्त्रों में वर्णित है। अनेक प्रामाणिक विद्वानों का यह भी मानना है कि जो छात्र पढऩे में कमजोर हो या जिनकी पढऩे में रुचि नहीं हो, ऐसे विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से माता सरस्वती का पूजन करना चाहिए।


शास्त्रों में वर्णित तीन देवियों में से एक महासरस्वती की उपासना विद्या एवं बुद्धि को देने वाली है। पुस्तक एवं कलम की सरस्वती के रूप में ही पूजा अवश्य करनी चाहिए। उच्च विद्या, वाणिज्य, विज्ञान, प्रबंधन, इंजीनियरिंग व कला के क्षेत्र में उन्नति चाहने वालों को इस दिन शास्त्रीय ग्रंथों का दान श्रद्धापूर्वक किसी विद्वान ब्राह्मण को करना चाहिए। उच्च कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छात्रों को ॐ ऐं हृीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा’ मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए। 


बच्चों की पढ़ाई आरंभ करने के लिए यह सर्वोत्तम दिन बताया गया है तथा जिन बच्चों ने पढाई प्रारंभ कर दी या जो भी विद्यार्थी इस दिन से पढाई शुरू करना चाहते हों, उन्हें इस दिन सरस्वती-स्वरूपा पुस्तक का पूजन करना चाहिए। सरस्वती के मूल मंत्र ‘ऐं वाग्वादिनी वद वद स्वाहा’ अथवा ‘श्रीं हृीं सरस्वत्यै स्वाहा’ अष्टाक्षर मंत्र से देवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए।


सरस्वती पूजा करने बाद सरस्वती माता के नाम से हवन करना चाहिए। हवन करते समय गणेश जी, नवग्रह के नाम से हवन करें। इसके बाद सरस्वती माता के नाम से ॐ श्री सरस्वतयै नम: स्वाहा’ इस मंत्र से एक सौ आठ बार हवन करना चाहिए। हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन का भभूत लगाएं।

सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता | 
सदूगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता || मैया जय 

 सरस्वती जी की आरती चन्द्रवदीन पदूमासिनि, द्युति मंगलकारी |
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी || मैया जय 

बाएँ कर में वीणा, दाएं कर माला |
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला || मैया जय 

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया |
पैठि मंथरा दासी, रावण संहार किया || मैया जय

विधा ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो |
मोह, अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो || मैया जय

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो |
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्दर करो || मैया जय 

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे |
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे || मैया जय

!!जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता!! 
!!जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता!! 

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