Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Nov, 2025 03:14 PM

Sri Ramakrishna Paramahamsa Story: एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्य के साथ एक नदी के किनारे टहल रहे थे। उन्होंने देखा कि कुछ मछुआरे जाल डालकर मछलियां पकड़ रहे हैं। परमहंस ने शिष्य से कहा, ‘‘इन मछलियों को ध्यान से देखो, यह हमें जीवन का एक...
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Sri Ramakrishna Paramahamsa Story: एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्य के साथ एक नदी के किनारे टहल रहे थे। उन्होंने देखा कि कुछ मछुआरे जाल डालकर मछलियां पकड़ रहे हैं। परमहंस ने शिष्य से कहा, ‘‘इन मछलियों को ध्यान से देखो, यह हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं।’’
शिष्य ने गौर से देखा कि कुछ मछलियां जाल में बिल्कुल शांत पड़ी थीं, कुछ छटपटा रही थीं और कुछ जाल से बाहर निकलने के लिए पूरी ताकत लगा रही थीं। परमहंस मुस्कुराए और बोले, ‘‘इन्हें तीन समूहों में बांटो और देखो इनमें क्या अंतर है।’’
पहली तरह की मछलियां हार मान चुकी हैं। इन्हें लगता है कि अब कोई बचाव नहीं इसलिए ये बिना संघर्ष किए जाल में पड़ी रहती हैं। दूसरी तरह की मछलियां बचने की कोशिश तो कर रही हैं लेकिन पूरी ताकत नहीं लगा पा रही हैं, इसलिए जाल से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। वहीं तीसरी तरह की मछलियां लगातार संघर्ष कर रही हैं, पूरे जोर से उछल रही हैं और अंतत: खुद को जाल से आजाद कर लेती हैं।

परमहंस ने शिष्य से कहा, ‘‘इंसान भी इसी तरह तीन प्रकार के होते हैं।’’ पहले वे जो मुसीबतों को अपनी नियति मानकर हार मान लेते हैं। दूसरे वे जो कोशिश तो करते हैं लेकिन रास्ता न मिलने के कारण लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते। तीसरे वे लोग जो कठिनाइयों से लड़ते हैं, हरसंभव प्रयास करते हैं और अंतत: सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
फिर उन्होंने शिष्य को समझाया, ‘‘अगर तुम जीवन में सफल होना चाहते हो तो हमेशा तीसरी मछली बनो जो तब तक संघर्ष करती है जब तक वह खुद को आजाद न कर ले।’’ यह सुनकर शिष्य संतुष्ट हो गया।
