Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 03:54 PM
मनुस्मृति हिंदू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र है। इसे मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि नामों से भी जाना जाता है। इस शास्त्र में पारंपरिक अर्थ में धर्म तथा साथ ही कानूनी कर्तव्य भी सम्मिलित हैं।
मनुस्मृति हिंदू धर्म का एक प्राचीन धर्मशास्त्र है। इसे मानव-धर्म-शास्त्र, मनुसंहिता आदि नामों से भी जाना जाता है। इस शास्त्र में पारंपरिक अर्थ में धर्म तथा साथ ही कानूनी कर्तव्य भी सम्मिलित हैं। यह हिंदूओं के लिए कानून के रूप में माना जाता है और यही कारण है कि आज भी इस शास्त्र को हिंदू विधिसंहिता के रूप में देखा जाता है। तो आईए जानें मनुस्मृति में दिए गए एक श्लोक के बारे में जिसमें व्यक्ति के क्रोध से उत्पन्न होने वाली आदतों का वर्णन किया गया है।
श्लोक
पैशुन्यं साहसं मोहं ईर्ष्यासूयार्थ दूषणम्।
वाग्दण्डजं च पारुष्यं क्रोधजोपिगणोष्टकः।।
अर्थ- क्रोध से पैदा होने वाली 8 बुरी आदतें हैं- 1. चुगली करना, 2. साहस, 3. द्रोह, 4. ईर्ष्या करना, 5. दूसरों में दोष देखना, 6. दूसरों के धन को छीन लेना, 7. गालियां देना, 8. दूसरों से बुरा व्यवहार करना।
क्रोध से उत्पन्न होने वाली 8 बुरी आदतें इस प्रकार हैं
चुगली करना
चुगली करना क्रोध से उत्पन्न बुरी आदतों में से एक मानी गई है। चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। इसके कारण कई बार व्यक्ति को अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।
साहस
साहसी होना अच्छी बात है, लेकिन कुछ लोग क्रोध में आकर दुःसाहसी हो जाते हैं और ये ऐसा काम कर जाते हैं, जिसकी इनसे उम्मीद नहीं की जा सकती। ऐसे लोग कई बार अन्य लोगों के गुस्से का शिकार भी हो सकते हैं।
द्रोह
क्रोध में आकर बिना कुछ सोचे-समझे द्रोह करना यानी विरोध करना भी एक बुरी आदत है। बाद में स्थिति सामान्य होने पर आपको स्वयं पर शर्मिंदा भी होना पड़ सकता है।
ईर्ष्या करना
कुछ लोग दूसरों से किसी न किसी बात पर की ईर्ष्या करते रहते हैं। ऐसे लोग दूसरों की तरक्की देखकर जलते हैं और उन्हें हमेशा भला-बुरा कहते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में कभी संतोष नहीं मिलता।
गालियां देना
गाली देकर बात करने वाले लोगों को सभ्य नहीं माना जाता। ये भी क्रोध से उत्पन्न होने वाली एक बुराई ही कहलाती है। क्रोध में आकर किसी को गाली देते समय व्यक्ति अपने आपा खो देता है और बड़े बूढ़ों का लिहाज भी नहीं करता। इसलिए ऐसी स्थिति से बचना चाहिए।
दूसरों में दोष देखना
कुछ लोगों को बात बात पर दूसरों में दोष निकालने की आदत होती है। ऐसे लोग सामाजिक नहीं कहे जा सकते। अन्य लोग इनके साथ घुलना-मिलना पसंद नहीं करते। इन्हें परिवार व समाज में भी उचित स्थान नहीं मिल पाता। अतः इस बुरी आदत से बचना चाहिए।
दूसरों के धन को छीन लेना
जो लोग दूसरों के धन को बलपूर्वक छीन लेते हैं, वे सभी की निंदा के पात्र होते हैं। ऐसे लोग निजी हित के लिए अपनों का नुकसान करने से भी नहीं चूकते। इसलिए इन लोगों से कोई मेल-जोल नहीं बढ़ाता। सभी इन से बच कर रहने की कोशिश करते हैं।
दूसरों से बुरा व्यवहार करना
कुछ लोगों का स्वभाव बहुत ही बुरा होता है। ऐसे लोग दूसरों के साथ भी ऐसा व्यवहार करते हैं। वे अपने-पराए में भेद नहीं कर पाते। इसलिए परिवार व समाज में इन्हें उचित स्थान नहीं मिलता।