Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Nov, 2024 08:31 AM
What is Shani Dev- जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत भाग हर समय शनि के शुभ/अशुभ प्रभाव में रहता है। 12 में से तीन राशियों को शनि की साढ़ेसाती प्रभावित करती है तो दो राशियों को शनि की ढैया। इस प्रकार 12 में से 5 राशियों को शनि हर समय प्रभावित करता है।
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What is Shani Dev- जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत भाग हर समय शनि के शुभ/अशुभ प्रभाव में रहता है। 12 में से तीन राशियों को शनि की साढ़ेसाती प्रभावित करती है तो दो राशियों को शनि की ढैया। इस प्रकार 12 में से 5 राशियों को शनि हर समय प्रभावित करता है।
What is Shani in Hindu mythology- एक भ्रांति कि शनि बुरा ही बुरा करता है, सही नहीं है। वास्तव में शनि मनुष्य से संघर्ष करवाता है, अत्यधिक परिश्रम करवाता है और इसी को व्यक्ति शनि का दोष, अशुभ प्रभाव समझता है। शनि न्यायप्रिय है। अत: जो व्यक्ति न्याय के रास्ते पर, सत्य के रास्ते पर चलते हैं, उसी से अपनी जीविका चलाते हैं उन्हें शनि पीड़ित नहीं करता। जब व्यक्ति घोर संघर्ष करता है तो उसे उपलब्धियां अवश्य प्राप्त होती हैं। सोने को जब तक तपा-तपा कर कुंदन नहीं बनाया जाता तब, तक उसमें चमक नहीं आती। उसी प्रकार मनुष्य भी साढ़ेसाती के पश्चात कुंदन बनकर चमकने लगता है।
What is Sade Sati? शनि की साढ़ेसाती है क्या
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से द्वादश (12वां) आ जाएगा, तब आपकी शनि की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी। यह साढ़ेसाती का पहला चरण होगा। जब शनि आपकी राशि पर आ जाएगा, तब आपको साढ़ेसाती का दूसरा चरण आरंभ होगा और जब शनि आपकी राशि से अगली राशि में चला जाएगा, तब आपको साढ़ेसाती का तीसरा चरण आरंभ होगा। एक राशि पर शनि लगभग 2 वर्ष 6 माह रहता है। इस प्रकार तीन स्थानों पर शनि के भ्रमण करने में साढ़े सात वर्ष का समय लगता है इसीलिए इसको शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति की वृष राशि है। उस व्यक्ति को जब शनि का मेष राशि में प्रवेश हुआ, तब साढ़ेसाती का पहला चरण आरंभ हुआ। शनि के वृष राशि में प्रवेश करने पर उसे दूसरा चरण और शनि का मिथुन राशि में प्रवेश करने पर साढ़ेसाती का तीसरा चरण आरंभ होगा। प्राय: व्यक्ति अपने जीवन में 3 से अधिक साढ़ेसाती नहीं देख पाता।
जब भी शनि भ्रमण करते हुए आपकी राशि से चतुर्थ या अष्टम स्थान में प्रवेश कर जाएगा, तब आपको शनि की ढैया लगेगी। इस प्रकार एक ही समय में पांच राशियों को शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया रहती है।
How is Shani Sade Sati got diminish? साढ़ेसाती 2700 दिन की होती है। इनमें से-
100 दिन-शनि मुख पर भ्रमण करता है, जोकि हानिकारक होता है।
101 से 500 दिन तक (400)- शनि दाईं बांह पर रहता है जोकि लाभदायक, सिद्धिप्रद, विजयदायक होता है।
501 से 1100 दिन तक (600 दिन) शनि पांवों पर रहता है जोकि यात्राएं करवाता है।
1101 से 1600 दिन तक (500 दिन) शनि पेट पर रहता है जोकि लाभदायक, सिद्धिदायक, हर कार्य में सफलता देता है।
1601 से 2000 दिन तक (400 दिन) शनि बाईं भुजा पर रहता है जोकि दुख, रोग, कष्ट हानि का समय होता है।
2001 से 2300 दिन तक (300 दिन) शनि मस्तक पर रहता है, यह समय लाभप्रद व सरकारी कार्यों में सफलता देने वाला होता है।
2301 से 2500 दिन तक (200)-शनि नैने पर रहता है। यह समय उन्नति, सुखदायक और सौभाग्यकारक होता है।
2501 से 2700 दिन तक (200 दिन)- शनि गुदा पर रहता है, यह समय दुखप्रद होता है।
Worship Shiv to get Shani's blessings- शनि की दशा में, शनि की ढैया में एवं शनि की साढ़ेसाती में यदि आप अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो निम्र उपाय कर अशुभ प्रभावों में कमी पा सकते हैं-
घर में पारद शिवलिंग एवं शनि यंत्र की स्थापना करें।
सदैव भगवान शंकर का प्रिय एकमुखी रुद्राक्ष पहने रहें। यदि एकमुखी रुद्राक्ष न पहन सकें तो रुद्राक्ष की माला तो अवश्य पहने रहें।
शनि यंत्र की अभिमंत्रित ‘शनि मुद्रिका’ अंगूठी अथवा ‘शनि लॉकेट’ अवश्य पहने रहें।
भगवान शंकर की उपासना-भगवान शंकर की उपासना के लिए यदि संभव हो तो सदैव ही शिव मंदिर में दर्शन करें एवं शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल अर्पण करें। बिल्व पत्र चढ़ाएं।
आप स्वयं यदि शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस समय मंत्र का जाप कर सकें तो उत्तम है : ॐ नम: शंभवाय व मयोभवाय च नम: शंकराय व मयस्कराय च मन: शिवाय च शिवतराय च’ अथवा ‘ऊं नम: शिवाय’ का भी जाप कर सकते हैं।
रोग निवृत्ति के लिए भगवान शंकर के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्योर्मुक्षी यमाऽमृतात्।