Yashoda Jayanti: इस विधि से मनाएं श्रीकृष्ण की पालनकर्ता माता यशोदा का जन्मोत्सव

Edited By Updated: 18 Feb, 2025 07:08 AM

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Yashoda Jayanti 2025: यशोदा जयंती का पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पालनकर्ता माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्री कृष्ण की मां थी। यह पर्व भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों...

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Yashoda Jayanti 2025: यशोदा जयंती का पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पालनकर्ता माता यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान श्री कृष्ण की मां थी। यह पर्व भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां श्री कृष्ण की पूजा होती है। इस दिन का महत्व श्री कृष्ण के बाल रूप और माता यशोदा के प्रति उनके प्रेम को विशेष रूप से याद करने के लिए होता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण और उनकी मां यशोदा के रिश्ते को श्रद्धा और प्रेम से मनाने का एक सुंदर अवसर है।

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On the day of Yashoda Jayanti, worship Maa Yashoda in this way यशोदा जयंती के दिन इस विधि से करें माता यशोदा की पूजा:
यशोदा जयंती के दिन सबसे पहले माता यशोदा की पूजा की जाती है। उन्हें दूध, दही, घी और मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है क्योंकि श्री कृष्ण को बचपन में उनके द्वारा पिलाया गया दूध बहुत प्रिय था।

कथा वाचन:
इस दिन विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण और माता यशोदा की कथाएं सुनने का महत्व है। कुछ विशेष कथाएं हैं, जो इस दिन सुनाई जाती हैं जैसे यशोदा-नंदन की जन्म कथा। यह कथा बताती है कि कैसे यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण को अपनी गोदी में लिया और उन्हें प्रेम से पाला।

बाल कृष्ण की लीलाएं: इस दिन बाल कृष्ण के अद्भुत खेल और उनके द्वारा माता यशोदा से की गई शरारतों को सुनाया जाता है जैसे माखन चुराना और गोवर्धन पर्वत उठाना आदि सुंगर लीलाओं का गुणगान किया जाता है।

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मातृ पूजन:
यशोदा जयंती पर विशेष रूप से मां के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए मातृ पूजन किया जाता है। घर के बड़े सदस्य और महिलाएं इस दिन अपनी मां को प्रणाम करती हैं और उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

उपवास और भजन संध्या:
बहुत से भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और रात भर भगवान श्री कृष्ण के भजन, कीर्तन और राधा कृष्ण की लीलाओं का गायन करते हैं।

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Method of worship of Maa Yashoda माता यशोदा की पूजा विधि:
स्नान और शुद्धि:

यशोदा जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद घर में पूजा के स्थान को साफ करके उसे अच्छे से सजाएं।

माता यशोदा का चित्र रखें:
पूजा स्थान पर माता यशोदा का चित्र या मूर्ति रखें। आप भगवान श्री कृष्ण का चित्र भी साथ में रख सकते हैं।

धूप, दीप और प्रसाद अर्पित करें:
सबसे पहले दीपक जलाकर, धूप और अगरबत्तियां अर्पित करें। फिर माता यशोदा को दूध, दही, घी, माखन और फल का भोग अर्पित करें। माखन और दही श्री कृष्ण के प्रिय भोजन माने जाते हैं इसलिए इन्हें अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

कथा और कीर्तन:
अब श्री कृष्ण और माता यशोदा की कथा सुने या सुनाएं। घर में भजन संध्या आयोजित करें, जिससे वातावरण भक्तिमय हो।

प्रार्थना और आशीर्वाद:
पूजा के बाद माता यशोदा से आशीर्वाद प्राप्त करें कि वे हमेशा आपके जीवन में प्रेम, सद्भाव और सुख-शांति का संचार करें।

दान और पुण्य:
इस दिन दान देने का विशेष महत्व है। गरीबों को भोजन, वस्त्र या अन्य जरूरत की चीजें दान करें। यह पुण्यकारी कार्य माना जाता है।

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